संतसंग में दूर-दूर से आए महान संतों का पदार्पण हुआ. सभी संतो ने अपने-अपने विचारों को अपने-अपने तरीके से रखा. महर्षि मेंही आश्रम कुप्पाघाट भागलपुर से अंतर्राष्ट्रीय प्रचारक संतमत स्वामी सत्य प्रकाश जी महाराज ने कहा कि मनुष्य शरीर के समान कोई भी शरीर नहीं है. जिसको जड़-चेतन सभी चाहते हैं. जीव चराचर चलनेवाले नहीं चलने वाले जितने प्राणी हैं, सभी मनुष्य शरीर चाहते हैं. मनुष्य, पक्षी चलनेवाला है और वृक्ष, पहाड़ चलनेवाला नहीं है. सभी चाहते हैं कि मनुष्य शरीर मिले. किसी मनुष्य से पूछिए कि हाथी बहुत बड़ा जानवर है. वह आप बनना चाहते हैं .कोई पसन्द नहीं करेगा. गौ की पूजा हम करते हैं लेकिन गौ या बैल होना कोई पसन्द नहीं करता. मनुष्य-शरीर, उत्तम शरीर है लेकिन जबतक जीवित मनुष्य-शरीर में लगा हुआ है तबतक पवित्र है. संसार में जितने जो कुछ प्राणी हैं सबसे विशेष मनुष्य है. परमार्थ- साधन, देव-पूजन, मोक्ष का साधन इसी शरीर से होते हैं और ये हैं भी इसी शरीर के लिए. मनुष्य- शरीर ही इस काम को आरम्भ कर सकता है और धीरे धीरे करके समाप्त कर सकता है और किसी शरीर में नहीं.
यह शरीर बड़ा अच्छा है लेकिन क्या बालपन, क्या बुढ़ापा, क्या जवानी का शरीर, यम के फन्दे में जो शरीर पड़ेगा, वह जाएगा ही. लेकिन ठिकाना नहीं कब यम के फन्दे में जाएगा. हालांकि मौसम खराब रहने के कारण दूर-दूर से श्रद्धालु नहीं आ सके.
इस मौके पर स्वामी संजीवानंद बाबा, हंसराज बाबा व कैलाश बाबा के साथ-साथ सभी कार्यकर्ता मौजूद थे.
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