बता दें कि 1989 में घैलाढ़ ओपी की स्थापना की गई थी. 10 वर्ष बाद प्रखंड मुख्यालय का दर्जा मिला. स्थानीय लोगों का कहना है कि कोशी का यह अकेला ऐसा प्रखंड मुख्यालय है जहां के ओपी को थाना का दर्जा नहीं मिल पाया है. इतना ही नहीं स्थापना काल से आज तक घैलाढ़ ओपी को अपना भवन तक नहीं नसीब हो पाया है. घैलाढ़ ओपी कोसी प्रोजेक्ट के जर्जर हो चुके भवन में संचालित होते आ रहा है. बरसात के दिनों में स्थिति और भी भयावह हो जाती है. जगह-जगह छत से पानी रिसाव होने के कारण ओपी के कई महत्वपूर्ण कागजात भी बर्बाद हो जाते हैं. छत भी टूट कर गिर जाता है. जिस कारण पुलिस पदाधिकारियों को भी भवन के क्षतिग्रस्त होने का भय समाया रहता है.
अपराधियों की शरणस्थली रहा है यह प्रखंड
तीन जिला का सीमावर्ती क्षेत्र होने के कारण घैलाढ़ ओपी और परमानंदपुर ओपी अपराधियों की शरणस्थली रही है. इतिहास खंगाला जाए तो है यह क्षेत्र अपराधियों के लिए हमेशा सेफ जोन रहा है. इस क्षेत्र के लोग ओपी से थाना में अपडेट करवाने के लिए जनप्रतिनिधियों व सरकारी बाबू की दहलीज पर दस्तक देते देते थक गए लेकिन हर बार सिर्फ और सिर्फ आश्वासन ही मिलता रहा. यहां से दर्जनों नेता इसे चुनावी मुद्दा बनाकर यहां के लोगों से वादा कर वोट लेकर चुनाव जीतकर विधानसभा तक पहुंच गए लेकिन विधानसभा की दहलीज पर पहुंचते ही लोगों से किए वादे को भूल जाते हैं.
क्षेत्रवासी कहते हैं, विधान मंडल के उजाला में अपने दोनों ओपी को थाना में अपडेट करवाना तो दूर सदन में प्रश्नकाल में आवाज उठाना भूल जाते हैं. लोगों का कहना है दोनों ओपी को जमीन भी उपलब्ध है. ओपी के भवन के विभाग ने कई बार देखकर भी गए, लेकिन अभी तक कुछ नहीं हो पाया है. जबकि घैलाढ़ ओपी की भौगोलिक दशा भी थाने का दर्जा पाने के लायक है. ओपी क्षेत्र में चित्ती, श्रीनगर, झिटकिया, अर्राहा महुआ दिघरा, भान टेकठी और रतनपुरा कुल 7 पंचायत है. ओपी में कार्यरत कर्मी दबी जुबान से कहते हैं कि 7 पंचायतों की लगभग लाखों की आबादी के लोगों के सुरक्षा एवं देखरेख का जिम्मा इस ओपी पर निर्भर है. कोशी का यह अकेला प्रखंड मुख्यालय है जहां के कागज पर थाना है लेकिन दर्जा अब तक नहीं मिल पाया है.
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
April 16, 2023
Rating:


No comments: