भागलपुर की ओर से आने वाली सभी ट्रक के एनएच 106 नहीं बनने के कारण सभी गाड़ियों स्टेट हाईवे 91 जो मुरलीगंज होकर गुजरती है वाले सबसे अधिक ओवरलोड वाहन रेत, बजरी, गटका के डंपर हैं । इसके अलावा लकड़ी से ऊंची-ऊंची लदी ट्रालियां ट्रेफिक के लिए सिरदर्द बनी है। इन वाहनों ने की सड़क बुरी तरह से क्षतिग्रस्त कर दिया है। वहीं ओवरलोडेड वाहनों के चलते दुपहिया और तिपहिया वाहन चालक परेशान है। ये रास्ता ही नहीं छोड़ते। जिसके कारण पिछले दिनों कार्तिक चौक के पास सड़क हादसे में एक युवक की मौत हो गई।
स्थानीय लोगों का कहना है कि का कहना है कि शाम ढलते ही सड़कों पर इनकी संख्या बढ़ जाती है। रात भर सड़क पर ये ओवरलोड वाहन दनादन दौड़ते हैं। यहां तक कि रतन पट्टी से मीरगंज की ओर की लिंक रोड पर एक साथ आठ से दस गाड़ियां निकलती हैं। इससे लिंक मार्ग भी टूटते जा रहे हैं। लोगों का कहना है कि पुलिस की मिलीभगत के बिना ये वाहन चल ही नहीं सकते। कहीं कहीं पुलिस प्रशासन लापरवाह हैं।
ट्रैफिक जाम की बहुत बड़ी समस्या है और ऊपर से यह ओवरलोड वाहन जाम को ओर ज्यादा बढ़ा देते हैं। क्योंकि ओवरलोडिंग के कारण वाहनों को धीमी गति से चलाना पड़ता है। दूसरे वाहन को ओवरटेक करने में भी समस्या आती है। जिससे पहले ही लोग बेहद परेशान हैं।
ट्रक सबसे ज्यादा ओवरलोड होकर चलते हैं। वहीं ऑटो चालक भी ज्यादा सवारियां लादकर कर चलते हैं और ऑटो चालक के पास सीधा देखने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं होता। पीछे से या साइडों से आने वाले वाहन उन्हें दिखाई नहीं देते। इस कारण यह ऑटो चालक एकदम ऑटो को कहीं भी मोड़ देते हैं और बिना देखे कहीं भी ब्रेक मार देते हैं। छोटे हाथी हो या फिर सामान ढोने वाली जीप सभी कम समय में ज्यादा मुनाफा कमाने के चक्कर में ओवरलोड होकर चलते हैं। इसकी तरफ प्रशासन की ओर से ध्यान देने की जरूरत है।
क्या हैं लोडिंग के मानक
समान ढोने वाले बड़े वाहनों में लोडिंग के माणक के मुताबिक 10 टायरा वाहन में 28 टन, 12 टायरा में 35 टन, 14 टायरा में 42 टन, 18 टायरा में 45 टन, 22 टायरा में 55 टन, छोटा हाथी में तीन टन, ट्राली में 8 टन, ऑटो में पांच व्यक्तियों से ज्यादा नहीं बैठा सकते, इसके अलावा कई इलेक्ट्रॉनिक ऑटो में तो केवल दो या तीन सवारियां ही बैठा सकते हैं। लेकिन हर कोई अपनी क्षमता से ज्यादा माल लेकर चलता है।
शाम के 7:00 बजे से सारी रात मुरलीगंज शहर सड़क पर इन वाहनों की आवाजाही सबसे अधिक है। रात को ये वाहन सड़कों पर निकल आते हैं। ओवरलोड डंपर ट्रैक्टर ट्राली में क्षमता से कई गुणा अधिक रेत, बजरी गटका भरा होता है।
ओवरलोड वाहनों से सड़क धंसी, लोग हो रहे परेशान
इन वाहनों के चलते म काफी परेशान है। दिन के समय गुजरने वाले ये वाहन धूल उड़ाते चलते हैं। बस स्टैंड से केपी कॉलेज तक तक सड़क पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो चुकी है।
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