समूह लोकनृत्य डोमकच जैसी लोक संस्कृति का जीवंत मंचन किया गया. पियक्कर, जुआरी एवं गैर जिम्मेदार पति के प्रति पत्नी का बेरुखी और उपेक्षा का भाव जब सिपाही के द्वारा गिरफ्तार किये जाने पर कातर स्वर में छोड़ने की विनती भाव में बदल जाता है और आखिरकार कुछ पैसे दे-ले कर छुड़ा ही लेती है, तब पता चलता है नारी हृदय की सरलता एवं भारतीय दांपत्य जीवन की स्थिरता का रहस्य.
दूसरी तरफ एकाकी नाटक विधा यमलोक में अल्प वयस्कों एवं बड़ों के द्वारा नियम तोड़कर गाड़ी चलाने से होने वाले सड़क हादसे से उत्पन्न समस्या को मंच पर कलाकारों ने दिखाया. इस अवसर पर भगत बाबा के चक्कर में पड़ने जैसे अंधविश्वास पर भी प्रहार किया एवं पैसे की कमी पर डॉक्टर की निर्दयता को भी रंगकर्मीयो ने कला के माध्यम से दिखाया. सड़क सुरक्षा के नियम तोड़ने पर यमलोक में भी सजा मिलेगी को कलाकारों ने अपने अभिनय से दर्शकों को दिखाने का प्रयास किया. यह आज के समय का एक ज्वलंत मुद्दा है. सृजन दर्पण के कलाकारों ने इसका जीवंत मंचन करके एक सकारात्मक संदेश दिया. खासकर यमलोक में यमराज का पीड़ित आत्माओं पर सहृदयता से विचार करना एवं समझाना दर्शकों को भाव विभोर कर दिया. इसके लिए संस्था अध्यक्ष डॉ. ओम प्रकाश ओम ने सभी रंगकर्मियों को बधाई दी एवं आगे बेहतर करने की शुभकामनाएं दी.
इस अवसर पर डीएम श्याम बिहारी मीणा, एडीएम रविंद्र नाथ प्रसाद सिंह, शिव कुमार शैव, डॉ. भूपेन्द्र नारायण यादव मधेपुरी, डॉ.शांति यादव, प्रो.अरुण कुमार बच्चन, जयकृष्ण यादव, रेखा यादव, अविनाश कुमार आदि मौजूद थे. मंच का संचालन शशिप्रभा जायसवाल ने किया.
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