मिली जानकारी के मुताबिक दुर्गा पूजा के पहली पूजा के दिन दुर्गा पूजा कमेटी के द्वारा कलश शोभा यात्रा निकाली गई. कलश यात्रा में करीब 551 कुंवारी कन्याओं ने भाग लिया. उनके साथ गाजे-बाजे एवं मोटरसाइकिल समेत सैकड़ों ग्रामीणों ने कलश यात्रा में भाग लिया. नदी के किनारे वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच पंडित मधुसूदन झा द्वारा मंत्रोच्चारण के साथ जल भरकर कुंवारी कन्याओं ने विभिन्न गलियों का भ्रमण करते हुए अपने गंतव्य दुर्गा स्थान के समीप पहुंचकर विराम लिया.
वैदिक मान्यता के अनुसार कलश के मुख में विष्णुजी का निवास, कंठ में रुद्र तथा मूल में ब्रह्मा स्थित हैं और कलश के मध्य में दैवीय मातृशक्तियां निवास करती हैं. कलश को सुख-समृद्धि, वैभव और मंगल कामनाओं का प्रतीक माना गया है. देवी पुराण के अनुसार मां भगवती की पूजा-अर्चना करते समय सर्वप्रथम कलश की स्थापना की जाती है. नवरात्रि के दिनों में मंदिर तथा घरों में कलश स्थापित किए जाते हैं तथा मां दुर्गा की विधि-विधानपूर्वक पूजा-अर्चना की जाती है.
मौके पर कलश यात्रा में मेला समिति के सभी सक्रिय सदस्य, युवा सहित गांव के कई गणमान्य लोग मौजूद थे.
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