मधेपुरा जिला के चौसा प्रखंड अंतर्गत चौसा पश्चिमी पंचायत के वार्ड नंबर नो निवासी बिंदेश्वरी प्रसाद पासवान का पुत्र अपनी लाचारी अपनी बेबसी से परेशान होकर इच्छा मृत्यु मांग रहे हैं।
बताया जाता है कि चौसा पश्चिमी पंचायत के बिंदेश्वरी पासवान का पुत्र रविंद्र कुमार पासवान जब कक्षा आठ में पढ़ते थे उसी समय उसे पैर में दर्द हुआ और धीरे धीरे विकलांग हो गए। किसी बीमारी घातक बीमारी ने इन्हें अपने चपेट में ले लिया जिसका इलाज के लिए उनके पिता ने अपने आसपास के बड़े से बड़े डॉक्टरों से करवाया। पर डॉक्टर ने मर्ज ठीक नहीं होने की बात कह दिया। आखिर पिता हार गए और अपने पुत्र को घर ला कर सेवा कर रहे हैं। रविन्द्र पिछले 40 वर्षों से विकलांगता की जिंदगी जी रहे हैं. पीड़ित बताते हैं कि मैं विकलांग हूँ, मेरी मां मेरा सेवा करती आ रही है और वह भी अब बूढ़ी हो चली है. उसके भी जिंदगी का अब कोई ठिकाना नहीं है और सरकारी स्तर पर मुझे कोई लाभ भी नहीं मिल पा रहा है । अगर मेरी मां मेरे इस हालत में रहते हुए गुजर जाएगी तो मेरा क्या होगा. इसलिए मैं चाहता हूं कि मेरी मां की जीवित रहते हैं मुझे इच्छा मृत्यु मिल जाए और मुझे इस अपाहिज शरीर से छुटकारा मिल जाए। ऐसी जिंदगी से मौत ही अच्छी है।
पिता ने कहा कि मैं अपनी तरफ से सारी कोशिश करके इलाज करवाया लेकिन चिकित्सकों ने ही इलाज नहीं होने की बात कह डाली और हम हार गए। माँ श्याम देवी कहती है कि जैसा भी है पुत्र ही और पुत्र मोह सबसे बड़ा होता है और मैं अपनी जिंदगी में जीते जी इसका सेवा करती रहूंगी. हालाँकि मैं भी चाहती हूं कि इसकी मौत मेरे जीते जी हो जाए तो मेरे भी आत्मा को सुकून मिलेगा नहीं तो मेरे बाद इसका कोई करने वाला नहीं है। जैसा आप खाना खाना पीना रोजमर्रा की मैं हूं तो कर देती हूं लेकिन मेरे गुजर जाने के बाद इसको कोई देखने वाला नहीं है इससे अच्छा है किस की मौत हो जाए। पीड़ित चार भाई में सबसे बड़ा है। पीड़ित की इस अवस्था के वजह से शादी भी नहीं हुई।

बताया जाता है कि चौसा पश्चिमी पंचायत के बिंदेश्वरी पासवान का पुत्र रविंद्र कुमार पासवान जब कक्षा आठ में पढ़ते थे उसी समय उसे पैर में दर्द हुआ और धीरे धीरे विकलांग हो गए। किसी बीमारी घातक बीमारी ने इन्हें अपने चपेट में ले लिया जिसका इलाज के लिए उनके पिता ने अपने आसपास के बड़े से बड़े डॉक्टरों से करवाया। पर डॉक्टर ने मर्ज ठीक नहीं होने की बात कह दिया। आखिर पिता हार गए और अपने पुत्र को घर ला कर सेवा कर रहे हैं। रविन्द्र पिछले 40 वर्षों से विकलांगता की जिंदगी जी रहे हैं. पीड़ित बताते हैं कि मैं विकलांग हूँ, मेरी मां मेरा सेवा करती आ रही है और वह भी अब बूढ़ी हो चली है. उसके भी जिंदगी का अब कोई ठिकाना नहीं है और सरकारी स्तर पर मुझे कोई लाभ भी नहीं मिल पा रहा है । अगर मेरी मां मेरे इस हालत में रहते हुए गुजर जाएगी तो मेरा क्या होगा. इसलिए मैं चाहता हूं कि मेरी मां की जीवित रहते हैं मुझे इच्छा मृत्यु मिल जाए और मुझे इस अपाहिज शरीर से छुटकारा मिल जाए। ऐसी जिंदगी से मौत ही अच्छी है।पिता ने कहा कि मैं अपनी तरफ से सारी कोशिश करके इलाज करवाया लेकिन चिकित्सकों ने ही इलाज नहीं होने की बात कह डाली और हम हार गए। माँ श्याम देवी कहती है कि जैसा भी है पुत्र ही और पुत्र मोह सबसे बड़ा होता है और मैं अपनी जिंदगी में जीते जी इसका सेवा करती रहूंगी. हालाँकि मैं भी चाहती हूं कि इसकी मौत मेरे जीते जी हो जाए तो मेरे भी आत्मा को सुकून मिलेगा नहीं तो मेरे बाद इसका कोई करने वाला नहीं है। जैसा आप खाना खाना पीना रोजमर्रा की मैं हूं तो कर देती हूं लेकिन मेरे गुजर जाने के बाद इसको कोई देखने वाला नहीं है इससे अच्छा है किस की मौत हो जाए। पीड़ित चार भाई में सबसे बड़ा है। पीड़ित की इस अवस्था के वजह से शादी भी नहीं हुई।

मधेपुरा में इच्छामृत्यु मांग रहा है एक शख्स, माँ भी चाहती है बेटे की मौत मेरे सामने हो जाए
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
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December 28, 2018
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