नशाखुरानी गिरोह के दो शिकार बेहोशी की हालत में पाए गए मुरलीगंज रेलवे स्टेशन पर

मधेपुरा के मुरलीगंज रेलवे स्टेशन पर आज सुबह नशाखुरानी गिरोह के शिकार दो युवक बेहोशी की अवस्था में स्टेशन पर पाए गए. मौके पर लोगों ने इसकी जानकारी मुरलीगंज स्टेशन अधीक्षक संजीव कुमार को दी. 


संजीव कुमार ने दरियादिली दिखाते हुए नशाखुरानी गिरोह के शिकार दोनों लड़कों को स्वयं जल्दबाजी में उठाकर मुरलीगंज अस्पताल पहुंचाया. जिससे कम से कम उसकी जान बच सके.


 अस्पताल पहुंचने पर संजीव कुमार ने बताया कि दोनों युवक बेहोशी की अवस्था में मुरलीगंज स्टेशन पर लेटे हुए थे. लोगों ने जगाने का बहुत प्रयास किया लेकिन सफल नहीं होने पर इसकी सूचना दी. मुरलीगंज स्टेशन पर जीआरपी पुलिस की व्यवस्था नहीं रहने के कारण स्टेशन अधीक्षक द्वारा ही इसे अस्पताल पहुंचाया गया. दोपहर बाद जब एक युवक को होश आया तो उसने अपना नाम नंदन कुमार उम्र 25 वर्ष पिता कमलेश्वरी ऋषिदेव घर चकमका, जिला पूर्णिया तथा दूसरे नशाखुरानी के शिकार युवक का नाम राज कुमार उम्र 21 वर्ष पिता सुकन ऋषिदेव घर कुमारखंड सिकरहटी बताया.

 दोपहर बाद जब हल्के नशे की हालत से नंदन कुमार बाहर आया तो उसने बताया कि उसके बैग से ₹5000/- और मोबाइल एवं अन्य जरूरी कागजात गायब था. एक छोटा मोबाइल जो उसके साथ में था वह नहीं लिया.  दोनों को आर एल एवं अन्य आवश्यक दवाइयां प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र मुरलीगंज में दी जा रही थी. दोनों ही शिकार व्यक्तियों के परिजन प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंच गए. जानकारी मांगने पर उन्होंने बताया कि यह दोनों रिश्ते में जीजा और साले हैं और दोनों केरल की एक चप्पल फैक्ट्री में काम करते थे, वहीं से लौट रहे थे. रात में कोसी एक्सप्रेस से स्टेशन पर उतरने के बाद इन दोनों को नशाखुरानी गिरोह ने अपना शिकार बनाया.

नशाखुरानी गिरोह के सदस्य ज्यादातर आम यात्री डिब्बे में सफर करने वाले यात्रियों को अपना शिकार बनाते हैं. रेलवे सूत्रों ने बताया कि इस गिरोह के लोग समूह में किसी ट्रेन के सामान्य यात्री डिब्बे में सवार हो जाते हैं. यात्रा के दौरान गिरोह के सदस्य एक-दूसरे से अंजान की तरह व्यवहार करते हैं ताकि ट्रेन में सफर कर रहे अन्य यात्रियों को उनपर किसी प्रकार का शक न हो.
यात्रा के क्रम में ये लोग जिस यात्री को अपना निशाना बनाते हैं उससे धीरे-धीरे बातचीत का सिलसिला शुरू करते हैं और फिर बातचीत के क्रम में चाय, बिस्किट, केला, सेब या संतरा आदि खाने को देते हैं. उनके द्वारा दी गई चीज खाते ही यात्री दस से पंद्रह मिनट में बेहोश हो जाता है और फिर गिरोह के सदस्य उसका सारा सामान और नकदी समेटकर चंपत हो जाते हैं.

नशाखुरानी के शिकार अधिकांश यात्री जब होश में आते हैं तो वे यही बताते हैं कि सफर के दौरान उनके आसपास बैठे यात्रियों ने उन्हें कुछ खाने अथवा पीने को दिया और उसे खाते ही उन्हें याद नहीं कि उनके साथ क्या हुआ. आंख खुलती है तो वह स्वयं को अस्पताल में पाते हैं तथा उनका सभी सामान और नकदी गायब हो चूका होता है.

प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र प्रभारी चिकित्सक राजेश कुमार ने बताया कि नशाखुरानी गिरोह के सदस्य अपने शिकार को बेहोश करने के लिए आमतौर पर एटिवान दवा का इस्तेमाल करते हैं. गिरोह के सदस्य इस दवा के घोल को चाय में मिला देते हैं और सिरिंच के जरिए केला, सेब या संतरे में डाल देते हैं. गिरोह के सदस्य अपने शिकार को दिए जाने वाले बिस्किट को उक्त घोल में डुबाकर उसे सुखा लेते हैं और उसे अन्य बिस्किट के साथ अपने शिकार को खाने को देते हैं.

 राजेश कुमार ने बताया कि इस दवा का कोई एंटीडाट उपलब्ध नहीं है इसलिए इससे पीड़ित मरीज को स्लाइन देकर हाईपोवोलमिया विधि से शरीर में मौजूद इस दवा के अवशेष को फोर्सफुल डायलेसिस के जरिए यकृत से शरीर के बाहर निकाला जाता है.

उन्होंने बताया कि इस दवा के घोल का उच्च शक्ति में या अधिक मात्रा में सेवन करा दिए जाने से मूर्छित हुआ व्यक्ति लंबे समय तक इसी अवस्था में बना रहता है और समय पर उपचार नहीं होने पर उसकी मौत भी हो जाती है.
उन्होंने बताया कि लंबी दूरी की ट्रेनों की सामान्य बोगी पैंट्री कार से जुड़ी नहीं होती है और नशाखुरानी गिरोह के सदस्य अपने पास रखे या गैर लाईसेंसी वेंडरों की सांठ-गांठ से खाद्य पदार्थ में नशीला पदार्थ मिलाकर उसे अपने शिकार को खिला देते हैं जिससे वह बेहोश हो जाते हैं.

स्थिति बिल्कुल स्पष्ट हो रही है कि सहरसा से लेकर पूर्णिया तक भी यह गिरोह सक्रिय हो रहा है और लोगों को अपना शिकार बना रहा है.
नशाखुरानी गिरोह के दो शिकार बेहोशी की हालत में पाए गए मुरलीगंज रेलवे स्टेशन पर नशाखुरानी गिरोह के दो शिकार बेहोशी की हालत में पाए गए मुरलीगंज रेलवे स्टेशन पर Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on July 17, 2018 Rating: 5

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