मधेपुरा जिले के सिंहेश्वर के मेला ग्राउंड स्थित जन संपर्क विभाग के प्रदर्शनी स्थल के मंच पर शिव शिष्य द्वारा प्रथम शिव शिष्या दीदी नीलम आनंद की तेरहवीं पुण्यतिथि धूम-धाम से मनाई गई ।
इस अवसर पर जिले के विभिन्न प्रखंडों से आये हुए गुरू भाई एवं बहना ने दीदी नीलम को श्रद्धांजलि अर्पित किया । वहीं उनकी फोटो प्रतिमा का अनावरण किया गया । जिस पर सभी शिव शिष्यों ने पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी । हरे कृष्ण सिंह ने कहा कि दीदी नीलम शिव की महान शिष्या थी और वह सदैव जनमानस को शिव से जोड़ने के लिए तत्पर रहती थी । दीदी ने वारेण गुरु भ्राता के साथ कंधे से कंधा मिलाकर पथरीले और कटीले रास्तों को तय किया और हमारे जीवन को नई दिशा प्रदान की । जिसके हम ऋणी हम ही नहीं अपितु संपूर्ण मानवीय सृष्टि है ।
शिव शिष्य किशोर झा ने कहा कि दीदी की मंगल कामना आपका जीवन सुखमय हो, शिवमय हो, आप शिव के शिष्य बने रहे । अनंत काल तक मनुष्य मात्र को शिव गुरु से जोड़ने की दिशा में प्रेरित करती रहेगी उन्होंने बताया कि दीदी के जीवन का एकमात्र उद्देश्य अंतिम लक्ष्य था महागुरु महादेव की गुरु स्वरूप को विश्व में स्थापित करना । शिव शिष्य विजेंद्र कुमार यादव ने कहा कि संपूर्ण मानवीय सृष्टि में शिवज्ञान बिखेरने की आकांक्षा से दीदी ने वर्णाश्रम, धर्म और भारतीय समाज की रूढ़ियों जिनके कारण हमारा नैतिक पतन हो रहा था, के विरुद्ध भावनात्मक विद्रोह पैदा किया ।
गुरु भाइयों ने कहा कि शिव कार्य के विस्तार हेतु दयामयी दीदी ने लोगों के रोग, शोक और पीड़ा को खुद में समाती रही I यहां तक कि अपने जीवन के अंतिम सांसे भी लोक-हित के लिए उत्सर्ग कर दिया । दीदी आज शरीर में नहीं है फिर भी अपनी उपस्थिति का कोमल एहसास कराती है । गुरु भाई बहनों ने अपने भजन से वातावरण को मंत्रमुग्ध कर दिया । स्थल पर भीषण मौके पर सिकंदर यादव राजेंद्र पंडित गणेश प्रसाद सिंह लक्ष्मी रामानी सहित सभी शिक्षित गण मौजूद थे.
(रिपोर्ट: डॉ. आई. सी. भगत, उप संपादक)
इस अवसर पर जिले के विभिन्न प्रखंडों से आये हुए गुरू भाई एवं बहना ने दीदी नीलम को श्रद्धांजलि अर्पित किया । वहीं उनकी फोटो प्रतिमा का अनावरण किया गया । जिस पर सभी शिव शिष्यों ने पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी । हरे कृष्ण सिंह ने कहा कि दीदी नीलम शिव की महान शिष्या थी और वह सदैव जनमानस को शिव से जोड़ने के लिए तत्पर रहती थी । दीदी ने वारेण गुरु भ्राता के साथ कंधे से कंधा मिलाकर पथरीले और कटीले रास्तों को तय किया और हमारे जीवन को नई दिशा प्रदान की । जिसके हम ऋणी हम ही नहीं अपितु संपूर्ण मानवीय सृष्टि है ।
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गुरु भाइयों ने कहा कि शिव कार्य के विस्तार हेतु दयामयी दीदी ने लोगों के रोग, शोक और पीड़ा को खुद में समाती रही I यहां तक कि अपने जीवन के अंतिम सांसे भी लोक-हित के लिए उत्सर्ग कर दिया । दीदी आज शरीर में नहीं है फिर भी अपनी उपस्थिति का कोमल एहसास कराती है । गुरु भाई बहनों ने अपने भजन से वातावरण को मंत्रमुग्ध कर दिया । स्थल पर भीषण मौके पर सिकंदर यादव राजेंद्र पंडित गणेश प्रसाद सिंह लक्ष्मी रामानी सहित सभी शिक्षित गण मौजूद थे.
(रिपोर्ट: डॉ. आई. सी. भगत, उप संपादक)
शिव शिष्यों ने दीदी नीलम की तेरहवीं पुण्यतिथि मनाई धूम-धाम से
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
June 17, 2018
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