मुरलीगंज-पूर्णियां रेलपथ: नारियल फोड़ते हैं, सपने दिखाते हैं और चले जाते हैं...

कुसहा त्रासदी में बर्बाद हुए कोसी के लाखों लोगों को राहत के नाम पर जो मिला, किसी से छुपा हुआ नहीं है. गिने-चुने लोगों ने करोड़ों के समुन्दर में डुबकियाँ लगाईं तो कई के उजड़े आशियाने आज तक छप्पड़ का इन्तजार कर रहे हैं.
      मधेपुरा जिले का मुरलीगंज इलाका उजड़ा तो उसे देखने के नाम पर भद्दा मजाक हुआ. रेल पथ आज भी ईमानदार उद्धारक की बाट जोह रहा है. स्थानीय लोगों और मुरलीगंज के रेल संघर्ष समिति के अथक प्रयास से किसी तरह मुरलीगंज से मधेपुरा और इस रूट में ट्रेन चली पर ट्रेन से पूर्णियां जाने का सहरसा, मधेपुरा और मुरलीगंज के लोगों का सपना धरा ही रह गया. अधिकारी आते रहे, उम्मीद दिखाते रहे. लोगों के पास सपने देखने के अलावे कोई रास्ता भी नहीं था.
        पर इस सप्ताह बनमनखी में पूर्वी जों के रेलवे संरक्षा आयुक्त पी के आचार्य ने नवनिर्मित रेलवे ट्रैक पर नारियल फोड़ा, तो इलाके के लोगों ने एकबार फिर से खुशियाँ मनाई. करीब पन्द्रह ट्राली के काफिले से निरीक्षण शुरू हुआ और पांच  घंटे के निरीक्षण के बाद सरसी स्टेशन पहुँचे और फिर विश्राम के उपरांत कटिहार चले गये. पर कृत्यानंद नगर से पूर्णियां तक के निरीक्षण में कुछ दिक्कतों की बात बताई जा रही है. हालाँकि इसी एक मई और दो मई को पायलट इंजन चलाने की घोषणा हुई है. ट्रेन कबसे चल पाएगी, इसपर अधिकारी को जल्द की बात कहते हैं, पर संशय की स्थिति बनी हुई है. हालांकि सी आर एस निरीक्षण के दौरान समस्तीपुर के डी आर एम सुंधाशु कुमार शर्मा,  मुख्य प्रशासनिक पदाधिकारी बी पी गुप्ता, मुख्य अभियंता (निमाणॅ) ए के सिन्हा, सौरभ मिश्रा, संजय कुमार, बी चौधरी,  बी के सिंह, विजय प्रकाश पंडित सहित रेलवे के कई और अधिकारियों की तत्परता से इसबार इलाके के लोगों की उम्मीदें बंधती दीख रही है.
      हालाँकि रेलवे के अधिकारियों के पूर्व की कार्यशैली पर अभी भी कई लोगों का कहना है कि ये नारियल फोड़ते हैं, सपने दिखाते हैं और चले जाते हैं.
मुरलीगंज-पूर्णियां रेलपथ: नारियल फोड़ते हैं, सपने दिखाते हैं और चले जाते हैं... मुरलीगंज-पूर्णियां रेलपथ: नारियल फोड़ते हैं, सपने दिखाते हैं और चले जाते हैं... Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on April 29, 2016 Rating: 5

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