
मुख्य मार्ग में एडीबी के सामने वरिष्ठ पत्रकार प्रदीप कुमार झा और कुछ गणमान्य लोग मलबे को व्यवस्थित करवा कर घरों से निकलने लायक रास्ता बनवा रहे हैं. वे बताते हैं कि नाला बनाने वालों ने खोद कर छोड़ दिया तो अपना मजदूर लगवाकर काम करना पड़ रहा है. स्थानीय निवासी सौरभ सिंह ने बताया कि गड्ढे में नाला निर्माण कार्य में कुछ सही नहीं है. ढलाई खुला था तो अन्दर नवनिर्मित नाला टूट गया था. फिर लोगों ने 'चिप्पी-चाप्पी' लगाकर इसे खड़ा कर दिया है. जेनरल हाई स्कूल के सामने जैसे ही हम कैमरा खोलते हैं, कई दर्जन लोग चल रहे काम की शिकायत करने पहुँच जाते हैं. लोगों का कहना है कि 'सबकुछ बकवास है, ये मास्टर प्लान फिसड्डी साबित हो जाएगा और पानी निकासी पहले से भी बदतर हो जाएगा. पूरा कचरा कर दिया है ई सब. किसे कहें, कौन करेगा, हम नहीं जानते हैं. शहर की हालत देखकर रोने का मन कर रहा है'.
हम तो कहते हैं, 'रो लीजिये, मन हल्का हो जाएगा'. (क्रमश:)
रो लीजिये, मन हल्का हो जाएगा...(भाग-1)
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
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August 11, 2015
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