
यही
नहीं जिले के उदाकिशुनगंज थानाक्षेत्र के बलिया बासा की इस घटना में तत्कालीन
मधेपुरा पुलिस की भूमिका बदतर दिखी थी जिसने बलात्कारियों की मदद करते हुए पीड़िता
के मुक़दमे दर्ज करने में नौ महीने लगा दिए थे और तब चंद्रकला (बदला नाम) ने
बलात्कार से पले गर्भ से एक ऐसे बच्चे को भी जन्म दे दिया था, जिसका बाप चार दुष्कर्मियों में से कौन सा था, यह पीडिता को भी नहीं पता था. देश भर में मधेपुरा को
कुख्यात करने वाली उस घटना में तत्कालीन एक दारोगा ने पीड़िता द्वारा
न्यायालय में परिवाद पत्र दाखिल करने के बाद न्यायालय के उस आदेश को भी रद्दी की
टोकरी में फेंक दिया था जिसमें मधेपुरा कोर्ट ने पुलिस को एफआईआर दर्ज करने का
आदेश दिया था.
मामले के
तूल पकड़ने पर बाद के दूसरे दारोगा ने फिर से न्यायालय से आदेश की प्रति मंगाकर एफआईआर
दर्ज किया था. मधेपुरा टाइम्स पर इस मामले पर लगातार कई ख़बरें प्रकाशित होने के
बाद हरकत में आए तत्कालीन पुलिस कप्तान ने दोषी दारोगा को निलंबित भी कर दिया था.
मामले
में तीन साल बाद मुख्य आरोपी लालो शर्मा और विजय शर्मा को आज मधेपुरा के प्रथम अपर
सत्र न्यायाधीश श्री पी० डी० गुप्ता ने दोषी करार दिया, जबकि अन्य दो अभियुक्त
जवाहर शर्मा और राजेश शर्मा के विरूद्ध भी विचारण जारी है. बलात्कारी लालो शर्मा
और विजय शर्मा को कितने साल और जेल में रहना पड़ेगा इसका फैसला अगले 4 अप्रैल को
न्यायालय करेगी. (नि० सं०)
(पढ़े क्या था पूरा मामला: घिनौना चेहरा
समाज का: दुष्कर्म की शिकार नाबालिग बनी माँ)
जिले को शर्मशार कर देने वाले बलिया बासा गैंगरेप केस में दो दुष्कर्मी हुए दोषी करार
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
March 31, 2015
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