घिनौना चेहरा समाज का: दुष्कर्म की शिकार नाबालिग बनी माँ

दुष्कर्म से नाबालिग माँ
रूद्र ना० यादव/20 अगस्त 2012
उदाकिशुनगंज के बलिया बासा गोपालपुर की चौदह वर्षीया नाबालिग चंद्रकला कुमारी की मुश्किलें इस घिनौने समाज में और भी बढ़ गयी है.पहले तो वह सामूहिक दुष्कर्म की शिकार बनी ही, फिर गर्भवती हुई तो शादी का झांसा देने वाले मुख्य अभियुक्त ने चंद्रकला से पीछा छुड़ाना चाहा था और इसके गर्भपात के लिए जबरदस्ती भी की थी.(पढ़ें: युवती के साथ सामूहिक दुष्कर्म: हुई गर्भवती) पर बच्चे को जन्म देने और पिता का नाम दिलाने की मानो चंद्रकला की भी जिद थी.आखिरकार चंद्रकला ने प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र उदाकिशुनगंज में कल एक बच्ची को जन्म दिया.
    गाँव में ही रैंचा के खेत में लालो शर्मा द्वारा चंद्रकला का बलात्कार करना, फिर लालो के द्वारा अपने सहयोगियों के सामने भी चंद्रकला को परोस देना, कुकर्मी लालो का यह विश्वास दिलाना कि वह चंद्रकला से शादी करेगा पर चंद्रकला के गर्भवती होने पर उससे पीछा छुड़ाना ये सारे वो घटनाक्रम हैं जो चंद्रकला की जिंदगी को नर्क में धकेल चुके हैं.
कौन होगा पिता??
 पुलिस की भूमिका रेपिस्ट से भी बदतर: पूरे मामले में उदाकिशुनगंज पुलिस की भूमिका दुष्कर्मी से भी शर्मनाक रही.जब चंद्रकला के साथ बलात्कार हुआ तो चंद्रकला परिजन के साथ थाने पर आई थी न्याय के लिए, लेकिन न्याय मिलना तो दूर उस वक्त के थानेदार जो वर्तमान में बेलारी ओपी में पदस्थापित हैं, ने एफआईआर तक दर्ज करना मुनासिब नहीं समझा.उलटे डांट फटकार कर भगा दिया.पीडिता की माने तो रेपिस्टों ने मोटी रकम देकर पुलिस को खरीद लिया था.इसके बाद पीड़िता के परिजन ने गाँव में आरोपियों के विरूद्ध पंचायत बुलाई थी जिसमें मुख्य दुष्कर्मी लालो ने चंद्रकला से पहले तो शादी करने की बात स्वीकारी फिर धीरे-धीरे गर्भपात कराने का दवाब बनाने लगा.जब गर्भपात कराने से पीड़िता ने इनकार कर दिया तब लालो भी शादी करने से मुकर गया.बता दें कि चंद्रकला के पिता निहायत ही गरीब हैं और पंजाब में मजदूरी कर परिवार चलाते हैं. उधर लालो की मंशा कहीं से भी चंद्रकला के उजड़े सपने को संवारने की नहीं थी.वह झांसा देकर चंद्रकला का गर्भपात करा कर साक्ष्य मिटाना चाहता था. इसके बाद पंचायत के सरपंच ने जब फिर से पंचायत बुलाने की पहल की तो दुष्कर्मियों ने उसी थानेदार से मिलकर फर्जी मारपीट का मामला दर्ज करवा कर सरपंच को ही जेल भिजवा दिया.
      जब चंद्रकला की थाने और पंचायत से न्याय मिलने की आस टूट गयी तब उसने न्यायालय की शरण में जाकर न्याय माँगा और पिछले तीस अप्रैल को परिवाद पत्र दायर किया.न्यायालय द्वारा एफआईआर का आदेश दिया गया था लेकिन थानेदार की हिम्मत तो देखिये, न्यायालय का आदेश उसने फेंक दी रद्दी की टोकरी में.दुबारा नए थानेदार ने कोर्ट से आदेश की प्रति मंगवा कर इसी तीन अगस्त को हैवानियत की हद को पार कर चुके दुष्कर्मियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर कार्यवाही शुरू की.इस पूरी कार्यवाही को सतह पर लाने तक में चंद्रकला के गर्भ को नौ माह पूरे हो चुके थे और चंद्रकला अब एक बेटी की माँ बन चुकी है.हालांकि इस केस के नए अनुसंधानक नितेश कुमार ने इस मामले को अति जघन्य करार देते हुए चार दिनों के अंदर दुष्कर्मियों को सलाखों के पीछे पहुँचाने का दावा किया है.उधर सामजिक कार्यकर्ता देवेश कुमार सिंह ने सामाजिक व्यवस्था को कोसते हुए कहा कि समाज में तो इस बच्ची को लोग हेय दृष्टि से देखेंगे ही, इसलिए सरकार को आगे आकर इस तरह के बच्चों के भविष्य को सुरक्षित रखने हेतु कारगर कदम उठाना चाहिए.
   ये घटना उस तथाकथित सभ्य समाज का वो स्याह चेहरा है जो नैतिकता की बड़ी-बड़ी बातें करता है.जिंदगी की उलझनें चंद्रकला पर इस तरह हावी हो चुकी हैं कि अब वह न तो जी रही है और न ही मर ही सकती है.नवजात बेटी के मोह में फंसी चंद्रकला अपने बच्चे के पिता के रूप में अब भी लालो का नाम दिलाना चाहती है,जबकि चंद्रकला भी शायद ये नहीं जानती कि उसके बच्चे का असली बाप उन दुष्कर्मियों में से कौन सा एक है??????
घिनौना चेहरा समाज का: दुष्कर्म की शिकार नाबालिग बनी माँ घिनौना चेहरा समाज का: दुष्कर्म की शिकार नाबालिग बनी माँ Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on August 20, 2012 Rating: 5

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