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जिला
मुख्यालय के एस० एन० पी० एम० हाई स्कूल में ऑटो में बैठकर परीक्षा देती इस छात्रा
को देखकर सभी आश्चर्यचकित रह जाते हैं. दुर्घटना में पैर टूटा, पर हिम्मत नहीं
टूटी. ऑटो से परीक्षा देने आई तो मानवीय संवेदना के आधार पर परीक्षा कक्ष के बाहर
ऑटो पर ही एक छोटे बेंच को डेस्क के रूप में उपलब्ध करा दिया गया और वहां छात्रा
उसी तरह पैर को उठाये परीक्षा दे रही है. कहते हैं मन में लगन हो तो शारीरिक कष्ट
का पता नहीं चलता है.
दूसरी
तरफ जिला मुख्यालय के कई केन्द्रों पर माँ की ममता को भी कुछ घंटे के लिए नजरअंदाज
कर कई महिला परिक्षार्थी परीक्षा दे रही हैं. गेट पर बच्चा किसी परिजन की गोद में
अपनी माँ को खोज रहा होता है तो उधर परीक्षार्थी बनी माँ में आगे बढ़ने का जुनून
उसे कुछ पल के लिए अपने कलेजे के टुकड़े को भूल जाने को विवश कर रहा है. माँ शायद
यह जानती है कि जबतक वह जिंदगी में आगे नहीं बढ़ती है तब तक अपने बच्चे को वह अच्छा
भविष्य नहीं दे सकती है. पर परीक्षा खत्म होने पर जिस तरह वह दौड़ कर बाहर निकल
परिजन के गोद से बच्चे को लेकर अपने कलेजे से चिपका लेती है उसे देखकर कोई भी कह
सकता है कि माँ तो सिर्फ माँ होती है.
जाहिर
सी बात है आज महिलाओं में हौसले की कोई कमी नहीं, शायद इसी वजह से इनकी उड़ान लोगों
को अचंभित कर रही है.
हौसलों की उड़ान: मधेपुरा में महिला परीक्षार्थी के कुछ उम्दा रंग
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
February 21, 2015
Rating:
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