|डिक्शन राज|12 मई 2014|
ये दुनियां बड़ी अजीब है और यहाँ कई घटनाएं मानव
संवेदनाओं को तार-तार कर पहेली बनकर रह जाती है और सबसे शर्मनाक स्थिति यह होती है
कि कभी-कभी परिजन ही घर में हुई मौत को पहेली बना डालते हैं. आज की एक घटना भी
अजीबोगरीब है जिसमें मृतक के परिजन पहले तो लाश में जान बाक़ी समझकर उसे अस्पताल ले
जाते हैं और जैसे ही ये पता चलता है कि जिसे वो यहाँ जिन्दा समझकर लाए हैं वो मर
चुका है तो फिर वो लाश का न तो पोस्टमार्टम होने देते हैं और न ही अस्पतालकर्मियों
को पुलिस को फोन करने देते हैं और झटपट में लाश लेकर भाग जाते हैं. आखिर क्या हो
सकता है मौत के पीछे और बाद का रहस्य ?
पूरी
घटना एक दुर्घटना से शुरू हुई लगती है. मधेपुरा जिले के गम्हरिया थाना के टोका
मध्य विद्यालय के पास जब आज सुबह में लोगों ने दो लोगों को बेहोशी की हालत में
गिरा देखा तो वहाँ ग्रामीणों की भीड़ लग गई. पास में एक मोटरसायकिल भी गिरा हुआ था.
भीड़ में कुछ लोगों के मुताबिक गिरे हुए व्यक्ति में से एक की पहचान गम्हरिया के
सिंगियोन गाँव के एक साभ्रांत परिवार के 25 वर्षीय युवक नवीस कुमार के रूप में की
गई थी जो स्व० अरूण यादव का पुत्र बताया जाता है. ग्रामीणों ने नवीस के परिजनों को
सिंगियोन खबर किया तो वहाँ से परिजन आये और दोनों गिरे हुए व्यक्तियों को उठाकर ले
गए.
सुबह
में लोग सदर अस्पताल मधेपुरा पहुँचते हैं और जैसे ही चिकित्सकों ने ये बताया कि वे
जिन दो लोगों को इलाज के लिए लाए हैं उनमें से एक लाश बन चुका है, तो फिर मानो
परिजनों को सांप सूंघ जाता है. मामला पुलिस केश होने के कारण सदर अस्पताल में
डॉक्टर लाश का विवरण पूछकर पुलिस को फोन करना चाहते हैं, पर परिजन लाश को लेकर भाग
जाते हैं और बचे घायल की स्थिति खराब देखकर उसे पटना रेफर कर दिया जाता है. इस काम
में कुछ अपने को बुद्धिजीवि कहने वाले लोग भी शामिल हो जाते हैं.
मृतक के
घरवाले मौत के बाद भी अभी तक किसी भी घटना से इनकार कर रहे हैं और लगता है सब
मिलकर पूरे मौत के प्रकरण को मैनेज कर रहे हैं. इस बीच कुछ लोगों का कहना है कि दूसरे
घायल ने भी यहाँ से ले जाने के क्रम में दम तोड़ दिया है.
कई अनसुलझे सवाल है इस मौत के
पीछे: इस घटना के पीछे सबसे बड़ा सवाल ये उठता है कि क्या ये मौतें दुर्धटना की वजह
से हुई हैं या फिर ये हत्या है. क्या हत्या किसी दबंग के द्वारा की गई है और परिजन
हत्यारों के खौफ से पूरी घटना ही छुपा रहे हैं. या फिर मामला कुछ और है जहाँ आगे
पुलिसिया जाल में फंसने या फिर बदनामी के के डर से परिजन सबकुछ मैनेज करने में लगे
हैं और अभी तक की स्थिति से ऐसा लगता है कि कम से कम वे गम्हरिया पुलिस को मैनेज
करने में सफल हो चुके हैं, क्योंकि थानाक्षेत्र में इतनी बड़ी घटना होने के बाद भी
गम्हरिया पुलिस मामले में अबतक अपनी अनभिज्ञता दर्शा रही है.
मौत की मिस्ट्री: परिजनों ने ही गायब किया लाश और छुपा रहे हैं दुर्घटना में हुई मौत ?
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
May 12, 2014
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