रिपोर्ट बेहद चौंकाने वाले हैं. मधेपुरा में राजद के
वोटर और नेता तेजी से भाजपा की ओर खिसक रहे हैं. नमो प्रेम में अगर इसी तरह राजद के
वोटर व नेता बह गये तो राजद का सूपड़ा साफ होने से कोई नहीं बचा सकता. राजद के हार्डकोर
नेता व पूर्व मंत्री रविन्द्र चरण यादव के भाजपा में शामिल होते ही मधेपुरा लोकसभा
क्षेत्र में खलबली मच गई और राजद के कट्टर समर्थक भी नमो को पीएम बनाने के लिए भाजपा
की ओर मुखातिब होने लगे हैं.
मधेपुरा के कई ग्रामीण इलाके में
जहां के लोग कभी लालू व राजद के लिए मर मिटने को तैयार रहते थे, आज नमो गान में लग
गए लगते हैं. ये ऐसे लोग हैं जो लालू का विरोध सुनना तक पसंद नही करते थे और इतना ही
नही लालू के लिए बूथ भी कब्जा किया करते थे. लेकिन आज हालात यह है कि इन्होने राजद
समर्थक नरेन्द्र मोदी को प्रधान मंत्री बनाने के लिए भाजपा को वोट देने का मन बना रखा
है. वर्तमान परिस्थिति को देखकर तो यही लगता है कि भाजपा लोगों के मन में बैठ रहा
है. कहा जाता है रोम पोप का और मधेपुरा गोप का. लालू के प्रेम में यह भी कहा जाता
रहा है कि मधेपुरा राजद का है. पर मधेपुरा के कई कट्टर राजद समर्थकों की आज की
मनोदशा देखकर ऐसा ही लगता है कि आज ये कहावत बदल चुकी है.
भाजपा में शामिल होने के बाद राजद
शासन काल में लगातार 15 साल मंत्री रहे डा० रविन्द्र चरण यादव, जिनके समय में यादव
ने आडवाणी को गिरफ्तार करवाया था भी अब
भाजपा में शामिल हो गए और अब भाजपा के समर्थन में तो खुल कर बोल ही रहे हैं साथ ही
इनके स्वर बाक़ी पार्टियों के विरोध में कुछ ज्यादा ही तीखे निकल रहे हैं. इनका तो
यहाँ तक दावा है कि इस बार लोकसभा चुनाव में मधेपुरा में 70% यादव नरेंद्र मोदी को
प्रधानमंत्री बनाने के लिए भाजपा को वोट देने जा रहे हैं.
जाहिर है अगर गोप की नगरी मधेपुरा
में भाजपा के प्रति आज जैसी दरियादिली बरकरार रही तो राजद का सूपड़ा साफ़ होने से कोई
नही बचा सकता.
पूरी रिपोर्ट पर हमारे इस वीडियो
को जरूर देखें. यहाँ क्लिक करें.
क्या मधेपुरा में राजद का हो जाएगा सूपड़ा साफ़ ?
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
February 20, 2014
Rating:
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February 20, 2014
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रबिन्द्र चरण यादव भाजपा में शामिल होना कोई ऐसी खास बात नहीं है, क्योकि वो नए नए एक्सपेरिमेंट हमेशा अपने को पॉवर मे लाने हेतु करते रहते है । पिछला लोकसभा चुनाव मे राजद के गढ़ मधेपुरा मे राजद के उम्मीदवार होने के बावजूद चरण जी बुरी तरह हार गए थे, जिसका प्रमुख कारन उनकी गिरी हुई दागी छवि एवं भ्रस्ट होना है । राजद से अलग होकर बिहारीगंज से विधान सभा का चुनाव निर्दिलय् लड़े और उनकी जमानत जप्त हो गई । क्या भाजपा को इससे फायदा होगा सोचने कि बात है । मधेपुरा का लोकसभा चुनाव जीतना निर्भर करता है ५०% कैंडिडेट का इमेज और ५०% पार्टी कि हवा । दोनों ही यहाँ जरूरी है अब देखना है कौन पार्टी कितना साफ सुतरा ईमानदार एवं लोकप्रिय कैंडिडेट को टिकट देता हे।
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