चुनाव की सुगबुगाहट में केंद्रीय नेतृत्व की तरफ
टिकट की आस लगाए कई प्रत्याशियों के दिल की धडकनें तेज हो चुकी हैं. सोच रहे हैं
पहले टिकट तो मिले फिर मिहनत भी करेंगे. एक बार जीत गए तो फिर पीछे मुड कर नहीं
देखेंगे. दूसरी तरफ दिमाग में ये बात भी आ रही है कि यदि टिकट नहीं मिलेगा तो उम्मीदवार
को मन से तो सपोर्ट नहीं ही करेंगे.
मई 2014
में होने वाले चुनावों से पहले एकबार पिछले यानि वर्ष 2009 में मधेपुरा लोकसभा
चुनाव के परिणाम पर विस्तृत नजर डालना जरूरी है ताकि आगे की समीक्षा करने में हमें
तथा पाठकों को सहूलियत हो सके.
2009 का लोकसभा चुनाव- एक नजर:
मधेपुरा लोकसभा क्षेत्र के लिए 30 अप्रैल 2009 को
1496 बूथों पर चुनाव हुए जिसमें 15 लाख 08 हजार 361 मतदाता थे और चुनावी दंगल में
कुल 17 उम्मीदवार एमपी बनने के लिए जोर आइजमाईश कर रहे थे. पर जब 16 मई को वोटों
की गिनती के बाद रिजल्ट सामने आया तो 17 में से 15 की जमानतें जब्त हो चुकी थी.
2009
में जदयू के दिग्गज नेता और राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव को 3,70,585 वोट मिले और
निकटतम प्रतिद्वंदी राजद के प्रो० रविन्द्र चरण यादव को 1,92,964 और इस तरह शरद
यादव बने मधेपुरा के एमपी.
बाकी 15
की जमानत जब्त हुई और उन्हें इस तरह जनता के वोट मिले.
डा० तारानंद सदा (कांग्रेस)-67,803. ओम प्रकाश
नारायण (सीपीआई)-28,112. किशोर कुमार (निर्द.)-19,946. महादेव यादव
(निर्द.)-12,657. साकार सुरेश यादव (निर्द.)-9,206. धनोज कुमार
तांती (RVNP)-9,180. बिनोद कुमार झा (बीएसपी)-8,467.
एन.के.सिंह (SAP)-6,667. तिरो शर्मा
(निर्द.)-6,019. प्रशांत कुमार (निर्द.)-5,633. ध्रुव कुमार गुप्ता
(निर्द.)-5,283. बलवंत गढ़वाल (निर्द.)-5,213. राजो साह (LTSD)-3,286. रविन्द्र कुमार (RSWD)-2,868. कर्पूरी ऋषिदेव (निर्द.)-2,561.

मधेपुरा
सीट के लिए इस वर्ष होने वाले लोकसभा चुनाव की स्थिति थोड़ी अलग है. जदयू और बीजेपी
की राहें अलग-अलग हैं और दोनों के लिए बिहार का एक-एक सीट प्रेस्टिज इश्यू बना हुआ
है. बिहार की कुल 40 सीटों पर पिछली बार गठबंधन के रूप में जहाँ जदयू ने 25 सीटों
पर उम्मीदवार खड़े किये थे और 20 सीटों पर उनका कब्ज़ा हुआ वहीं भाजपा ने शेष 15
सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े किये थे और 12 सीटें उनकी झोली में गई थी.
मधेपुरा
में इस बार का संघर्ष और कड़ा होगा. एक तरफ राष्ट्रीय स्तर के जदयू के नेता शरद
यादव हैं तो दूसरी तरफ ‘नमो’ भी अपना जादू यहाँ चलाना चाहेगा. राजद के कैडर वोटर यहाँ
बड़ी संख्यां में हैं तो चौथी प्रमुख उपस्थिति पूर्व सांसद पप्पू यादव की होगी.
यानि संघर्ष त्रिकोणीय या चतुर्थकोणीय हो सकता है.
2004 के
लोकसभा चुनाव में जहाँ 12 उम्मीदवार मैदान में थे वहीँ 2009 में 17 और इस बार इससे
भी अधिक के मैदान में आने की सम्भावना है क्योंकि कई टिकट के दावेदारों ने
सम्बंधित पार्टी से टिकट नहीं मिलने पर बगावत कर भी मैदान में उतरने की सोच रहे
हैं. वैसे बाक़ी पार्टियां भी अपनी पूरी ताकत झोंकने में पीछे नहीं रहेगी. (क्रमश:)
(मधेपुरा टाइम्स प्रस्तुति)
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मधेपुरा लोकसभा 2014- चुनाव डायरी: कौन बनेगा एमपी (भाग-3)
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
February 09, 2014
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