मुसाफिर
कहाँ से आया और इसे कहाँ जाना था कोई नहीं जानता. रेलवे परिसर में भूख से अपनी मौत
का इन्तजार भले यह कर रहा हो, पर रेल प्रशासन इसकी सुधि लेने एकबार भी नहीं आया.
शायद रेलवे सिर्फ अपने यात्री का ध्यान थोड़ा बहुत रखती है. ये अनाथ, बीमार और भूख
से बिलबिलाता व्यक्ति ट्रेन का टिकट तो नहीं कटा सका पर इसका ऊपर का टिकट प्रशासन
और समाज की संवेदनहीनता की वजह से शायद जल्द कटने वाला है.
यहाँ कौन है तेरा, मुसाफिर जाएगा कहाँ....
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
November 21, 2013
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