कल शाम हुई अधिवक्ता रामेश्वर मेहता की हत्या
वृन्दावन में चल रही हत्याओं की कड़ी में आठवीं हत्या है. कहते हैं कि प्रेम-प्रसंग
से शुरू हुई पहली हत्या ने बाद में वर्चस्व की लड़ाई का रूप ले लिया और गाँव के दो
प्रमुख जाति यादव और मेहता के कई सदस्य एक-दूसरे के जानी दुश्मन बन गए.
सूत्रों
से मिली जानकारी के अनुसार इन हत्याओं के दौर का बीज करीब एक दशक पहले तब रोपा गया
था जब (1) देव नारायण मेहता की हत्या हो गई थी. बदला लेने का दौर शुरू हुआ और फिर (2)
राजेन्द्र यादव को मौत की नींद सुला दिया गया. (3) राधा यादव और (4) गुलो ऋषिदेव की हत्या को पुलिस
एनकाउंटर दिखाया गया था. उसके बाद वर्ष 2006 में (5) जीवन कुमार की हत्या गाँव के
मेले में ही कर दी गई. जीवन रामचंद्र यादव का भांजा था. जीवन की हत्या को ऑनर
किलिंग का नाम दिया जा सकता है. वर्ष 2009 में (6) गोनर यादव की
हत्या इसी रंजिश
की कड़ी थी. गत 14 सितम्बर को (7) रामचंद्र यादव की हत्या गोली दिनदहाड़े गोली मारकर
कर दी गई. रामचंद यादव की हत्या के करीब एक सप्ताह पहले दोनों पक्षों में गोलीबारी
भी हुई थी. उसके बाद कल आठवीं हत्या को अंजाम दिया गया.

बताते हैं कि वृन्दावन में मेहता
(कोईरी) जाति के लोगों की जनसंख्यां कम है, पर हम-हम की लड़ाई में इन्हें हमेशा डर सताता
रहा कि अपराधी चरित्र के गाँव के दबंग यादवों के द्वारा कहीं इनकी हत्या न कर दी
जाय और अपना अस्तित्व बचाने के लिए इन्होने क़ानून का रास्ता नहीं अपना कर अपराध का
रास्ता अख्तियार कर लिया. पहले जहाँ हत्याओं की कमान उम्रदराज लोग संभाले हुए थे
वहीँ अब गाँव के युवाओं ने मोर्चा संभल लिया है. मधेपुरा टाइम्स सूत्रों को मिली
जानकारी के अनुसार वर्चस्व की इस लड़ाई में हत्याओं का दौर अभी थमने वाला नहीं है.
निकट भविष्य में दो और लोग निशाने पर हैं.
वर्चस्व की लड़ाई में वृन्दावन में हुई अबतक आठ हत्याएं
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
October 22, 2013
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jab law and order khatam ho jata hai toh jati ke nam par isi tarah apradhi aur apradh panapta hai...
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