हर्षोल्लास से मनाया गया बकरीद: देता है देश की रक्षा का पैगाम

|राजीव रंजन|16 अक्टूबर 2012|
आज पूरे जिले में त्याग और बलिदान का त्यौहार बकरीद हर्षोल्लास के साथ मनाया गया. आज सुबह मधेपुरा जिला मुख्यालय में ईदगाह में सैंकड़ों की संख्यां में जमा होकर मुस्लिम भाईयों ने बकरीद की नमाज अदा की.
      बकरीद यानि ईद-उल-जुहा के सम्बन्ध में एक कथा प्रचलित है जिसके मुताबिक़ यहूदी, इसाई और इस्लाम तीनों धर्म के पैगम्बर हजरत इब्राहीम की परीक्षा लेने के लिए खुदा ने जब उनसे अपनी सबसे प्यारी चीज कुर्बान करने को कहा तो हजरत इब्राहीम ने अपने सबसे प्रिय बेटे हजरत इस्माइल की ही कुर्बानी देने को तैयार हो गए. मन में विचलन न हो इसके लिए उन्होंने अपनी आखों पर एक कपड़ा बाँध लिया. पर खुदा सिर्फ इनकी परीक्षा लेना चाहते थे इसलिए उन्होंने हजरत इब्राहीम के 13 वर्षीय बेटे की जगह एक बकरे को बाँध दिया और इस तरह उनके बेटे की जान बच गई. तब से ही इस दिन की याद में बकरीद मनाया जाने लगा.
      हजरत साहब के अनुसार कुर्बानी का अर्थ है रक्षा के लिए तत्पर रहना. उनका पैगाम था कि कोई भी व्यक्ति जिस समाज, परिवार और देश में रहता है उसकी रक्षा करना उसका कर्त्तव्य है. इसी सन्देश की पुष्टि बकरे की बलि में भी है जिसमे उसे तीन हिस्सों में बांटा जाता है. एक हिस्सा अपने परिवार के लिए, दूसरा हिस्सा अपने दोस्तों और रिश्तेदारों को बांटा जाता है और तीसरा हिस्सा गरीबों में बांट दिया जाता है. कुर्बानी के ये तीन हिस्से भी यही संदेश देते हैं कि हर सच्चे मुसलमान को अपने परिवार, समाज और देश के लिए बराबर रूप से सोचना चाहिए और यही उसका फर्ज है.
      मधेपुरा में आज लोगों ने एक दूसरे को बकरीद की मुबारकबाद दी और पूरे जिले में यह पर्व सौहार्दपूर्ण वातावरण में संपन्न हुआ.
हर्षोल्लास से मनाया गया बकरीद: देता है देश की रक्षा का पैगाम हर्षोल्लास से मनाया गया बकरीद: देता है देश की रक्षा का पैगाम Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on October 16, 2013 Rating: 5

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