जिला के लिए संघर्ष - मधेपुरा बनाम सहरसा 1947

हालाँकि सहरसा 1 अप्रैल 1954  में भागलपुर जिला से बांटकर जिला घोषित हुआ। लेकिन 1947 से ही मधेपुरा को सहरसा की जगह जिला घोषित किये जाने की मुहीम चल रही थी। 
इसी उद्देश्य को लेकर मधेपुरा के कांग्रेस आफिस में दिनांक 8-8-1947 को शाम 7 बजे एक सार्वजानिक सभा हुई थी जिसका ब्यौरा इस प्रकार से है -
प्रस्ताव संख्या 1 - श्री भूपेंद्र नारायण मंडल को सभा का सभापति बनाने का प्रस्ताव हुआ।
          प्रस्तावक - श्री उमादास गांगुली।
         समर्थक - श्री शीतल प्रसाद मंडल।
प्रस्ताव सर्वसम्मति से स्वीकृत हुआ।
प्रस्ताव संख्या 2 - यह प्रस्ताव किया जाता है की मधेपुरा में निम्नलिखित कारणों से जिले सदर मुकाम हो - 
  (1) मधेपुरा उत्तर भागलपुर के मध्य में पड़ता है, लेकिन सहरसा जिले के दक्षिण-पश्चिम किनारें पर है।
   (2) मधेपुरा 80 वर्ष पुराना सबडिविजन है। सुपौल और मधेपुरा में सिविल कोर्ट, क्रिमिनल कोर्ट, जेल, अस्पताल तथा प्रायः सभी प्रकार के सरकारी महकमें मौजूद हैं। जनसाधारण को मधेपुरा आने-जाने और रहने की काफी सुविधा है। लेकिन सहरसा एक नयी जगह है और वहां सभी बातों का अभाव है।
      इस तरह मधेपुरा में जिले की सदर मुकाम होने से सरकारी रुप्पियों की भी काफी बचत होगी।
   (3) मधेपुरा कोशी से दूर है और इसकी सतह सहरसा की सतह से 5 (पांच) फुट ऊँची है। लेकिन सहरसा अभी भी कोशी, तिलाबे तथा धीमरा की प्रखर धाराओं से प्रभावित है।
 (4) जलवायु की दृष्टि से भी मधेपुरा स्वस्थ्य-कर है। सहरसा भयंकर महामारियों (प्लेग, मलेरिया, कालाज्वर, हैजा, चेचक वगैरह)  से प्रतिवर्ष पीड़ित रहता है।
 
(5) यातायात के ख्याल से जिला महकमें तथा जन-सुविधाओं के लिए मधेपुरा ही विशेष सुगम है। मुरलीगंज तक रेल सम्बन्ध, फुलौत तक बढ़िया सड़क आदि है।
 (6) सुपौल के सात थानों के अन्दर सिर्फ सुपौल और थरबिट्टा के सिवाय शेष पांच थानें (भीमनगर, प्रतापगंज, डगमारा, त्रिवेणीगंज, छातापुर) के लोगों को मधेपुरा होकर ही सहरसा जाना पड़ता है। इसी तरह लोधरहारा को छोड़कर बांकीये सात थाने (मधेपुरा, सिंघेश्वर स्थान, सौर बाज़ार, सोनबर्षा, किशुनगंजआलमनगर, मुरलीगंज) के लोगों को मधेपुरा आना ही सुविधाजनक है।
 (7) यह सभा सरकार से मांग करती है कि वस्तुस्थिति की जांच के लिए एक निष्पक्ष कमीशन नियुक्त कर आवश्यक कार्यवाई करें। 
  (8) निशचय हुआ कि निम्नलिखित पाँच सज्जनों का एक डेलेगेशन अतिशीघ्र ही आवश्यक अधिकारीयों से मिलकर उक्त मांगों को पेश करें -
(क) बाबू भुवनेश्वरी प्रसाद मण्डल 
(ख) बाबू सागर मल 
(ग) मौलवी हलीम 
(घ) बाबू कार्तिक प्रसाद सिंह 
 (ङ्) प्रेजिडेंट, थाना कांग्रेस कमिटी 
 (9) इस आन्दोलन को बराबर चालू रखने के लिए निम्नलिखित सज्जनों की एक कमिटी बनायी गयी -
       (1) बाबू बिन्ध्येश्वरी प्रसाद मण्डल (सेक्रेटरी)
       (2) बाबू महावीर प्रसाद सिंह
       (3) बाबू सुधीन्द्र नाथ दास 
       (4) बाबू कमलेश्वरी प्रसाद मण्डल 
       (5) काजी अबू ज़फर 
       (6) बाबू गजेन्द्र नारायण महतो 
       (7) बाबू शीतल प्रसाद मण्डल  
       (8) बाबू हलधर चौधरी 
       (9) बाबू कमलेश चन्द्र भाधुरी 
       (10) बाबू सुरेन्द्र नारायण सिंह 
       (11) बाबू कैलाशपति मण्डल 

(10) यह प्रस्तावित हुआ है कि निम्न-लिखित अधिकारीयों को ये प्रस्ताव भेजें जाएँ -  
1. Home Member, Government of India.
2. President, Constituent Assembly.
3. H. E. Governor of Bihar.
4. Prime Minister, Government of Bihar.
5. President, Bihar Provincial Congress Committee.
6. Hon`ble Health Minister, Government of Bihar.
7. Parliamentary Secretary
Babu Shiv Nandan Prasad Mandal & Babu Bir Chand Patel

Sd/-
(Bhuvneshwari Prasad Mandal)
President.
8/8/47.

आन्दोलन हेतु चंदा देने वाले सदस्य -
(1) बाबू बिन्ध्येश्वरी प्रसाद मण्डल - 10 रु/-
(2) बाबू सागर मल                       -  10 रु/-
(3) बाबू मदन राम                        -  10 रु/-
(4) बाबू रघुनन्दन प्रसाद मण्डल   -   15 रु/-
(5) बाबू शीतल प्रसाद मण्डल        -     5 रु/-
(6) बाबू नंदन प्रसाद सिंह              -      5 रु/-
(7) बाबू भुवनेश्वरी प्रसाद मण्डल    - शेष खर्च।
        

प्रस्तुति -
सूरज यादव।
प्राध्यापक, दिल्ली विश्वविद्यालय।
8/8/2013 
जिला के लिए संघर्ष - मधेपुरा बनाम सहरसा 1947 जिला के लिए संघर्ष - मधेपुरा बनाम सहरसा 1947 Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on August 08, 2013 Rating: 5

3 comments:

  1. 9 मई, 1981 को मधेपुरा जिला बनाये जाने की औपचारिक घोषणा रासबिहारी विद्यालय में आयोजित एक समारोह में की गयी थी। उदघाटनकर्ता बिहार के तात्कालिक मुख्यमंत्री डा जगनाथ मिश्र थे और सभा की अध्यक्षता पूर्व मुख्यमंत्री और मधेपुरा के पहले विधायक और कई बार रहे सांसद स्व बी पी मण्डल कर रहे थे। अपने भाषण की शुरुआत करते हुए स्व बी पी मण्डल ने कहा था की मैं इश्वर को धन्यवाद देता हूँ की यह दिन देखने के लिए जीवित हूँ।
    मधेपुरा को जिला घोषित किये जाने के लम्बे पृष्ठभूमि में स्व बी पी मण्डल के इस उदगार को समझा जा सकता है।

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  2. मधेपुरा को जिला बनाये जाने की मुहीम के समय पूरे प्रकरण के अभिभावक और संरक्षक मधेपुरा के महान सपूत स्व रासबिहारी लाल मण्डल के बड़े पुत्र स्व भुवनेश्वरी प्रसाद मण्डल थे जो उस समय भागलपुर जिला कांग्रेस कमिटी के अध्यक्ष थे। वे तात्कालिक भागलपुर लोकल बोर्ड (जिला परिषद्) के भी अध्यक्ष थे। परन्तु इसी मुहीम के दौरान 1948 में उनकी मृत्यु हो गयी। बाद में उनके फुफेरे भाई स्व भूपेंद्र नारायण मण्डल (रानीपट्टी) और उनके अपने छोटे भाई स्व बी पी मण्डल इस मांग के लिए संघर्ष करते रहे। लेकिन ऐसा माना जाता है की सहरसा को जिला बनाने के फैसले के समय मधेपुरा के अन्य बड़े नेता स्व शिवनंदन प्रसाद मण्डल (रानीपट्टी), जो बिहार सरकार में तात्कालिक कबिनेट मंत्री थे, से चूक हुई थी।

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  3. There is a book named "Forty Years Of Indian Police" written by Mr. Triloki Nath. In this book it is mentioned that the minister from Madhipura who was also a very rich landlord was dozing off while the matter of creation of new district was discussed in the cabinet. This book is available on the net .

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