पूर्णियां में गठबंधन में उजागर हुई गाँठ

गठबंधन धर्म का प्रदर्शन मजबूरी
|पूर्णियां से लौटकर पंकज भारतीय| 28 अप्रैल 2013|
सभा करने से बेहतर है कि मुख्यमंत्री किसी पंचायत का औचक निरीक्षण करें, तभी उन्हें पता चलेगा कि विकास का सच क्या है? केवल अखबार में छापे जाने से विकास नहीं हो जाता है.
-उदय सिंह, भाजपा सांसद, पूर्णियां.
जिस तरह उल्लू को दिन में दिखाई नहीं देता है, उसी तरह कुछ लोगों को जिले में हुए विकास कार्य दिखाई नहीं दे रहे हैं.
-लेसी सिंह , जदयू विधायक, धमदाहा, पूर्णियां.
ये दो बयान इस बात की ताकीद कर रहे हैं कि पूर्णियां जिला में भाजपा-जदयू गठबंधन केवल नूराकुश्ती नहीं, तीखे आरोप-प्रत्यारोप के हद तक पहुँच चुकी है. दो राजनैतिक सूरमाओं के बीच तलवार तन चुकी है और शीर्ष पर बैठे दलीय राजनेता चुप्पी साधे बैठे हैं. यह वाकया 27 अप्रैल की है जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पूर्णियां जिले के दौरे पर थे.
             बहरहाल, राजनीतिक घटनाक्रम के फ्लैशबैक में चलना जरूरी है. नवंबर 2012 में भाजपा सांसद उदय सिंह ने वेदना रैली का आयोजन कर पहली बार गठबंधन धर्म की सीमा रेखा को लांघने का काम किया था. रैली में सांसद ने न केवल विकास के दावे पर सवाल खड़े किये थे बल्कि बंटी और बबली जौसे जुमले का इस्तेमाल कर विधायक लेसी सिंह पर भी सीधा निशाना साधा था. रैली में उमड़ी भीड़ को अगर सफलता का पैमाना माना जाय तो वह रैली पूरी तरह सुपर-डुपर हिट थी.
अब यह समझना जरूरी है कि सांसद उदय सिंह को वेदना क्यों होती है ?
(सभी फोटो: दिलीप राज )
राजनैतिक गलियारे में दो तरह की थ्योरी चर्चा-ए-आम है. पहली, सांसद की वेदना जायज है. विकास कार्यों में अधिकारी-ठेकेदार की लूट, सरकारी संस्थाओं में व्याप्त भ्रष्टाचार, कानून व्यवस्था की दिनोंदिन बिगड़ती स्थिति जैसे कई ऐसे मुद्दे हैं जी राज्य सरकार की नाकामी को दर्शाती हैं. दूसरी, कुछ लोगो का मानना है कि सांसद ने गत चुनाव में बड़े-बड़े हवाई दावे किये थे जो अभी भी धरातल से दूर है. ऐसे में यह वेदना केवल नाकामी छुपाने की कोशिश भर है. वहीं तटस्थ जानकारों का मानना है कि प्रशासनिक स्तर पर सांसद उदय सिंह कि तुलना में विधायक लेसी सिंह को तवज्जो मिलना वेदना का सबसे महत्वपूर्ण कारण है.
   राजनैतिक स्तर पर सांसद और विधायक के कद की तुलना की जाय तो पारिवारिक पृष्ठभूमि और ऊँची लॉबी की वजह से जहाँ सांसद सशक्त माने जाते हैं वहीं मुख्यमंत्री के गुडबुक में शामिल होने की वजह से ही विधायक सांसद की मुखालफत कर पाती है. वेदना रैली के फ़ौरन बाद भाजपा के एक शीर्ष नेता ने उदय सिंह के खिलाफ कार्यवाही की बात कही थी लेकिन वह बयान केवल अखबारों तक रह गया. कांग्रेस से पाला बदलकर रातोंरात भाजपा का टिकट पाने वाले सांसद की ऊँची हैसियत से हर कोई वाकिफ है. यही वजह है कि सांसद बार-बार सिंह-गर्जन करते हैं.
जेठ भले ही अभी दूर हो लेकिन पूर्णियां का सियासी तापमान अभी रिकॉर्ड स्तर पर है. भाजपा-जदयू का गठबंधन मजबूरी में भले ही कायम रहे लेकिन पूर्णियां इसका अपवाद साबित हो जाए तो आश्चर्य नहीं होगा. लेसी सिंह के विकास के दावे और उदय सिंह के विकास की हकीकत में कितना दम है यह पब्लिक बखूबी जानती है और हंस की तरह दूध और पानी अलग-अलग करने का कौशल भी जनता बखूबी जानती है.
पूर्णियां में गठबंधन में उजागर हुई गाँठ पूर्णियां में गठबंधन में उजागर हुई गाँठ Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on April 28, 2013 Rating: 5

No comments:

Powered by Blogger.