थियेटर का नाम सुनते ही अब अधिकाँश लोगों के मन में अजीब सी सिहरन होने
लगती है. जबकि यदि शब्दकोष पर एक नजर डाला जाय तो थियेटर रंगगृह, रंगशाला, नाट्यकला और
रंगमंच
से जुड़ा हुआ है, और ऋग्वेद तक में इसे कला का एक उत्कृष्ट रूप माना गया है.
पर इनदिनों मेले में दिखाए जाने वाले थियेटरों में सच कुछ और ही नजर आता
है. मेले में आने वाले अधिकाँश थियेटरों ने इसके मूल स्वरूप को पूरी तरह विकृत कर
दिया है. कला
के नाम पर अश्लीलता और फूहड़ता के पीछे कमाई की होड़ नजर आती है.


बहुत से
लोगों की छिछली मानसिकता का लाभ उठाते हैं थियेटर मालिक और कम ही दिनों में हो
जाते हैं मालामाल. चाहे सोनपुर मेला हो या सिंघेश्वर या फिर और कोई, सबसे पहले कई
लोग ये जानना चाहते हैं कि यहाँ इस बार कितने थियेटर आये हैं और कौन कौन से? रात
जैसे जैसे चढ़ती है शमा बंध जाता है और फिर ये
सच में रंगमंच बन जाता है. वो
रंगमंच जहाँ सेक्सी नर्तकी अनेक रंग दिखाकर दर्शकों के पैसे वसूल कराने का भरसक प्रयास करती हैं.
उनके हाव-भाव और अदाएं सिहरन पैदा करने में सक्षम होते हैं.

नर्तकी के शरीर में ‘वाइब्रेशन’ इतना ज्यादा होता है कि दर्शक मदहोश से हो जाते हैं.
नर्तकियों का बढ़ावा मिलने पर कई बार कुछ अत्यधिक उत्साहित दर्शक मंच पर कुछ फेंक
भी देते हैं जिसका मुस्कुरा कर वेलकम किया जाता है. अनुभवी दर्शक अक्सर उस ‘गोल्डन मोमेंट’ का इन्तजार करते हैं जब अदाकारा
सामने झुकती है.
सूत्रों
का मानना है कि कई थियेटर मालिक प्रशासनिक और राजनीतिक पहुंचवाले भी होते हैं और इनके पास होता है नर्तकियों का जखीरा. अक्सर छोटे पुलिस पदाधिकारी और थानों को
इनके द्वारा कई तरह से खुश कर दिया जाता है इसलिए इनके द्वारा दिखाए जा रहे फूहड़ता
को उनकी मुहर लग जाती है. पर कई बार ईमानदार पदाधिकारियों के द्वारा कई जगहों पर
इन थियेटरों को अश्लीलता परोसने के कारण बंद भी करा दिया जाता है.
इस बार
बिहार के प्रसिद्ध सिंघेश्वर मेले में भी कई थियेटर मनोरंजन के उद्येश्य से आये है
जिनमें दर्शकों की भारी भीड़ रहती है.
आइये हम
आपको दिखाते है प्रसिद्ध शोभा सम्राट थियेटर में इसी 14 मार्च को साढ़े ग्यारह बजे
रात में दिखाए जा रहे कार्यक्रम का वीडियो, यहाँ
क्लिक करें.
(थियेटरनामा के अगले भागों में आप रूबरू होंगे
थियेटर से जुड़े कई अन्य पहलुओं से...पढते रहें मधेपुरा टाइम्स)
(वि.सं.)
थियेटरनामा (भाग-1): आपका क्या होगा जनाबेआली ???
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
March 17, 2013
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