वीसी की नैया डूबते ही जो कल तक उनका गुणगान किया करते
थे आज वे सीधे पलटी मारते हुए कहते हैं कि बेकार थे कुलपति डा० अरूण कुमार क्योंकि
कभी भी उन्होंने विश्वविद्यालय को अपना नहीं समझा और पटना से ही मधेपुरा का
कार्यालय चलाते रहे. जिसके कारण विश्वविद्यालय क्षेत्र के छात्र-छात्राओं को भारी
परेशानी झेलनी पड़ रही थी. छात्रों की समस्या को सुनने वाला कोई नहीं था.
विश्वविद्यालय के अधिकाँश पदाधिकारी और कर्मचारियों के क्रियाकलाप से जहाँ छात्र-छात्राएं
आजिज थे वहीं कुलपति की नियुक्ति पटना उच्च न्यायालय से रद्द होने से वे काफी खुश
देख रहे हैं. वैसे इस विश्वविद्यालय का दुर्भाग्य ही रहा है कि शुरू से ही यहाँ
शिक्षा के नाम पर खानापूर्ति की गयी है. आरोप ये भी है कि विश्वविद्यालय को शिक्षा
माफियाओं ने लूट-खसोट का अड्डा बना रखा है. आरोपी कई पदाधिकारी बेउर जेल तक की हवा
खा चुके हैं. छात्र नेताओं ने विश्वविद्यालय प्रशासन के खिलाफ आवाज उठाई तो
कभी-कभी उनपर छेड़खानी तक में लिप्त रहने का आरोप विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से
लगे हैं. कई छात्र नेताओं का कहना है कि अधिकारियों के लूट के खिलाफ उठाई आवाजों
को एक साजिस के तहत विश्वविद्यालय दबाने का प्रयास करता रहा है ताकि लूट-खसोट का
खेल यहाँ चलता रहे. हालांकि उनका ये भी कहना है कि विश्वविद्यालय प्रशासन से सट कर
अब
फिलहाल स्थायी कुलपतिविहीन विश्वविद्यालय में छात्र भविष्य में एक अच्छे कुलपति के
आने की उम्मीद जता रहे हैं जो विश्वविद्यालय में पठन-पाठन को सुव्यस्थित कर सके.
मधेपुरा के वीसी के हटने की खबर से छात्रों में खुशी व्याप्त
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
December 08, 2012
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