चीखती आस्था साँझ
साधना राग संग भागती दौड़ती जिंदगी मुर्दों के ढ़ेर पर
कौन जीता कौन हारा चचरी की बांस पर
हर्षित दोने सूप के डूब गये
दिनकर के लाल संग
मूक हो गया मगध कल
मूक हो गया मगध कल
फिर पाटलिपुत्रा
के शोक पर !
अस्मत मानस का लुटा धर्म के ठेकेदारों ने
माओं के सुनी गोदों पे फिर
अस्मत मानस का लुटा धर्म के ठेकेदारों ने
माओं के सुनी गोदों पे फिर
गंगा के
चीत्कारों में
कुंठित मन संग पूछ रहा था
कुंठित मन संग पूछ रहा था
चिता के अंगारों
में
कौन देगा अर्घ ऐसे दिनकर के भोग पर
कौन जीता कौन हारा चचरी की बांस पर
मूक हो गया मगध कल फिर
कौन देगा अर्घ ऐसे दिनकर के भोग पर
कौन जीता कौन हारा चचरी की बांस पर
मूक हो गया मगध कल फिर
पाटलिपुत्रा के
शोक पर !
महाव्रत महाकाल बना
साधना के गीत हादसों पे चरितार्थ हुआ
"मरबो रे सुगबा धनुष से
महाव्रत महाकाल बना
साधना के गीत हादसों पे चरितार्थ हुआ
"मरबो रे सुगबा धनुष से
सुगबा गिरी
मुरझाए"
साँझ अंधियारे में अश्रु संग
साँझ अंधियारे में अश्रु संग
जब हर बोल
किर्तार्थ हुआ
तब मिर्त सुगबा के घर पे
तब मिर्त सुगबा के घर पे
पैसों का डाक हुआ
मिथ्या वादों पे
हुकूमत ने भी बकोल
मिथ्या वादों पे
हुकूमत ने भी बकोल
फर्ज़ निभाया घाट
पर
कौन जीता कौन हारा चचरी की बांस पर
मूक हो गया मगध कल
कौन जीता कौन हारा चचरी की बांस पर
मूक हो गया मगध कल
फिर पाटलिपुत्रा
के शोक पर !!
--अजय ठाकुर, नई दिल्ली
(मेरे चंद पंक्तिया ..
कल के हादसे के विर्तचित्र के रूप में ... श्रद्धांजलि ! हर उन आस्था के भक्तों के लिए, की हम याद रखेंगे तेरी साथ घटित पटना अदालातगंज गंगा घाट पे उस भगदड़ को !!)
मूक हो गया मगध पाटलिपुत्रा के शोक पर///अजय ठाकुर
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
November 20, 2012
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