मैंने तुम्हे याद किया है.....!!! ///सुषमा आहुति

गुजरते हुए हर लम्हे के साथ,  
आने वाले हर पल के साथ,
मैंने तुम्हे याद किया है.....


टूटते बिखरते सपनो के साथ
,
हर अनजाने और अपनों के साथ
,
मैंने तुम्हे याद किया है.....


तनहा अपने ख्यालो के साथ
,  
जिन्दगी के उलझते सवालो के साथ ,
मैंने तुम्हे याद किया है....


कागज़ पर अनलिखे शब्दों के साथ
,
अपनी कविताओं के अनकहे अर्थो के साथ....

मैंने तुम्हे याद किया है.....


तारो को गिनते-गिनते गुजरती रातो के साथ
,
तुम्हारे बिन ढलती शामों के साथ
,
मैंने तुम्हे याद किया है....


मंजिल को भटकती राहो के साथ
,
हर सफ़र पर तुम्हे तलाशती आखों के साथ
,
मैंने तुम्हे याद किया है.....


इस तरह तुम मेरी जिन्दगी के हर लम्हे में शामिल हो
,
मैंने तुम्हे याद किया आती जाती सांसो के साथ......
  

--सुषमा आहुति, कानपुर
मैंने तुम्हे याद किया है.....!!! ///सुषमा आहुति मैंने तुम्हे याद किया है.....!!! ///सुषमा आहुति Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on November 11, 2012 Rating: 5

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