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| दुष्कर्म की शिकार चंद्रकला की बच्ची |
“पूज्य पापा,
जब से
दुनिया में आई हूँ, चिंता ही मुझे खाए जा रही है.सबसे पहले तो जब माँ के चेहरे पर
नजर डालती हूँ, तो वहाँ अथाह दर्द दीखता है.पापा, आपके मन में पहले से क्या चल रहा
था, माँ समझ न सकी थी.आपने माँ के साथ सात फेरे लेने की बात कह दी, तो अनपढ़ माँ
आपकी बातों पर भरोसा कर बैठी थी.वह आपके साथ जीने का सपना देखने लगी और आपमें पति
का रूप देख बैठी.पापा, तब तक माँ के गर्भ में आपका अंश यानी मैं जीवन के रूप में आ
चुकी थी. आप दुनियां से झूठ बोल सकते हैं, पर मैं गवाह हूँ आपका माँ के साथ किये
वादों का.
पापा, मेरी माँ को आपने
तो धोखा दिया ही, पर अब मेरा क्या होगा, कभी आपने इस बात को सोचा है? स्कूल जाउंगी
तो जानते हैं लोग क्या कह कर मेरा मजाक उड़ाया करेंगे ? कम से कम ये भी तो बता
दीजिए कि स्कूल में नाम लिखाने वक्त या कोई और जब मेरे बाप का नाम पूछेगा, तो आपका
नाम बताउंगी या नहीं? पापा, शायद आपको इस बात का एहसास नहीं है कि समाज क्या होता
है.अब जब मैं धरती पर आ ही गयी हूँ तो मेरे भी कुछ सपने हैं.मैं खूब पढ़ना चाहती
हूँ,पर माँ कहाँ से मुझे पढ़ा सकेगी. आप हमारे साथ नहीं हैं तो एक और बात का डर भी
है.कहीं नाबालिग उम्र में ही मैं भी किसी दुष्कर्म का शिकार न हो जाऊं.
अंत
में...पापा, आ जाओ न प्लीज, बचा लो मुझे और माँ को...क़ानून आपको सजा भले ही दे
देगी, पर मैं तो बिना पापा के ही रह जाउंगी न !
आपकी (बेटी ?)
सृष्टि"
(उदाकिशुनगंज के गोपालपुर बलिया बासा दुष्कर्म मामले
पर आधारित पूरी तरह काल्पनिक, दुष्कर्म की पूरी
स्टोरी पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें )
दुष्कर्म से पैदा हुई बेटी का पिता के नाम पत्र
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
September 01, 2012
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on
September 01, 2012
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