कोसते नहीं करके दिखाते हैं..///डा० सुधा उपाध्याय

हाय ....... नहीं मिलते अब वो
सहज भाव से तो क्या ...
नहीं होता अब उनसे कोई
संवाद तो क्या .....
नहीं रचना उन्हें कोई
नया इतिहास तो क्या
वे आज भी अतीत से लिपटे हैं
वे आज भी पूर्वाग्रहों में जकडे हैं
हम तो भैया ऐसे हैं कि
नज़र भवितव्य पर है
और गढ़ना है एक नया संविधान
वे हमारे अनकहे अनकिये
की जोड तोड करें
हमे तो सांस लेने की भी फुर्सत नहीं
हम कोसते नहीं करके दिखाते हैं.........
नहीं
जानती कौन हूँ मैं ...

 
--डॉ सुधा उपाध्याय, नई दिल्ली.
कोसते नहीं करके दिखाते हैं..///डा० सुधा उपाध्याय कोसते नहीं करके दिखाते हैं..///डा० सुधा उपाध्याय Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on September 02, 2012 Rating: 5

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