जिन्दगी की राह में जब गम मिलेंगे ..
हर तरफ निराशाओं के मौसम मिलेंगे |
इस शहर में दोस्तों की बात मत कर.........
हर कदम पर इस जगह दुश्मन मिलेंगे |
संवेदनाएं आदमी की मर चुकी हैं ..............
अपने जख्म न कहना किसी से भूलकर भी ......
दर्द बाँटने वाले बहुत कम मिलेंगे |
जब इंसानियत की इस कदर बेईज्ज़ती हो .........
तो हैवानियत के किस्से ही हरदम मिलेंगे |
लोग जब समझने लगे ताक़त की ही भाषा.........
फिर कैसे हमे शांति के उपवन मिलेंगे |
--रचना भारतीय, मधेपुरा
दर्द बांटने वाले कम मिलेंगे..//रचना भारतीय
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
July 08, 2012
Rating:

Well-Written, Rachna Ji. .
ReplyDeleteSuperb Poem. . .
बहुत ही खुबसूरत और प्यारी रचना...
ReplyDeleteAapki tarah sunder , sach ,najuk aur kathor kavita. Wah rachna jee.
ReplyDeleteBahut khoob likha hai aapne, nice one......
ReplyDeletebahut khoob likha hai aapne, nice one....
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