मधेपुरा जिले के बिहारीगंज प्रखंड के मोहनपुर के नवनिर्मित काली मंदिर में काली माता की मूर्ति प्रतिष्ठापित की गई. बताते हैं कि लगभग 1780 ईस्वी में जोरावर सिंह द्वारा इस मंदिर का निर्माण किया गया. कालांतर में मंदिर के पुनर्निर्माण स्वतंत्रता सेनानी अंबिका सिंह जी के सुपुत्र स्वतंत्रता सेनानी इलाके के पहले एमबीबीएस डॉ अर्जुन बाबू एवं परिजनों के द्वारा किया गया. समय के थपेरों में मंदिर को जीर्ण शीर्ण हो गया था, जिसे डॉ अर्जुन बाबू के सुपुत्र जाने-माने चिकित्सक डॉ नृपेन्द्र नारायण सिंह एवं जिले के प्रसिद्ध स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ अलका सिंह द्वारा इस मंदिर का पुनर्निर्माण किया गया. जिसमें आज काली जी की मूर्ति का प्रतिष्ठापन किया गया यह मंदिर अद्भुत एवं अद्वितीय है। ग्रामीण बताते हैं कि आज तक इस मंदिर से खाली हाथ कोई नहीं गया. माँ सब की मुरादे पूरी करती है. वास्तुकार ने दक्षिणेश्वर काली मंदिर से लेकर इस मंदिर का डिजाइन किया है जो अद्भुत है.
इस मंदिर का ढाई सौ वर्षों का इतिहास है. इस मंदिर की यहां एक दंत कथा प्रचलित है. इसके अनुसार एक बार कोसी में बाढ़ आई थी जिसमें यहां से इन लोगों के पैतृक ठाकुरबारी एवं कुलदेवी जीवछ जी को पस्तपार ले जाया गया था लेकिन जब भगवती काली जी को यहां से ले जाने की कोशिश की गई तो यह मूर्ति अपने स्थान से जरा सी भी नहीं हिली. यह इस परिवार की निजी कुलदेवी है.
दिवाली के रोज यहाँ भव्य काली पूजा का आयोजन होता है, जिसमें बली प्रदान सहित अन्य अनुष्ठान द्वारा भगवती का पूजा पाठ किया जाता है. यहाँ पूजा कुल के पंडित द्वारा ही तांत्रिक विधि से की जाती है. पंडित धर्मानंद झा एवं पंडित भगवान झा द्वारा इस मंदिर में पूजा पाठ किया जाता है.
मूर्ति प्रतिष्ठापन के मौके पर सैंकड़ों ग्रामीण एवं परिवारजन उपस्थित थे.
(नि. सं.)
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