इस मंदिर का ढाई सौ वर्षों का इतिहास है. इस मंदिर की यहां एक दंत कथा प्रचलित है. इसके अनुसार एक बार कोसी में बाढ़ आई थी जिसमें यहां से इन लोगों के पैतृक ठाकुरबारी एवं कुलदेवी जीवछ जी को पस्तपार ले जाया गया था लेकिन जब भगवती काली जी को यहां से ले जाने की कोशिश की गई तो यह मूर्ति अपने स्थान से जरा सी भी नहीं हिली. यह इस परिवार की निजी कुलदेवी है.
दिवाली के रोज यहाँ भव्य काली पूजा का आयोजन होता है, जिसमें बली प्रदान सहित अन्य अनुष्ठान द्वारा भगवती का पूजा पाठ किया जाता है. यहाँ पूजा कुल के पंडित द्वारा ही तांत्रिक विधि से की जाती है. पंडित धर्मानंद झा एवं पंडित भगवान झा द्वारा इस मंदिर में पूजा पाठ किया जाता है.
मूर्ति प्रतिष्ठापन के मौके पर सैंकड़ों ग्रामीण एवं परिवारजन उपस्थित थे.
(नि. सं.)
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
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October 16, 2025
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