अंतिम महिला पार्षद ने अपनी कीमत लगवाई तीन लाख

वि० सं०/10 जून 2012
मुख्य पार्षद चुनाव का खेल खत्म है.पर बची हुई है क्षेत्र के मतदाताओं के दिल में उभरी टीस.मतदान से पहले शायद कम मतदाताओं ने ही परिणाम के बाद के डर्टी पिक्चर की कल्पना की होगी.सरकार वोट आपका अधिकार है, अवश्य ही मतदान करें का संवाद भले ही लोकतंत्र में घुट रही जनता तक पहुंचाए,पर मधेपुरा नगर परिषद् में जो खेल चला उसने कई मतदाताओं को अंदर तक हिला कर रख दिया है.
  कल तक हाथ जोड़े और पैर पकड़ते प्रत्याशी ने जीतते ही अपना पाला बदल लिया.मतदाताओं को देखते ही निरीह सा चेहरा बना लेने वाले प्रत्याशी जीतने के बाद लोगों से कन्नी काटते नजर आने लगे.चूंकि अब वे बाजारू चीज बन गए थे.उन्हें बिकना था.कहने को तो बिकने वाले सभी पार्षद चुनाव जीतकर ही आये थे,पर सबों का बाजार भाव अलग-अलग ठहरा.सूत्र बताते हैं कि इस खेल में टुच्चे ठहरे पार्षद पहले ही बिक गए और उनकी बोली महज पांच अंकों में ही सिमट कर रह गयी.सबसे माहिर और मंजे कलाकारों ने अपने पत्ते अंत समय से पहले नहीं खोले.ये अलग बात थी कि उनके पास जो भी पहुँचते रहे उन्हें वे आश्वासन की घुट्टी पिलाते रहे.पर खरीदने वाले भी जानते थे कि ये वैसे मकान मालिक की तरह हैं जो TOLET की तख्ती तो लटकाए हुए हैं पर जब तक ये एडवांस न पकड़ ले ये अपना मकान किसी को भी भाड़ा लगा सकते हैं.सूत्रों का मानना है कि नगर परिषद् क्षेत्र की सबसे अंत में बिकी दो महिला पार्षद ने तीन-तीन लाख के आसपास वसूल की.यहाँ वार्ड पार्षद पतियों ने सुपर-डुपर दलाल का रोल बखूबी निभाया. पर वैसों का क्या, जिन्होंने बेटे के सर पर हाथ रखकर या फिर सिंघेश्वर मंदिर में शिवलिंग को छूकर कसम खाई कि हम आपको ही वोट देंगे और बाद में पलट गए.इस पूरे खेल में जिस वार्ड के पार्षद नहीं बिके उस क्षेत्र की जनता निश्चित ही अपने को खुशनसीब मान सकती है.
   आज मधेपुरा टाइम्स ने जब शहर के विभिन्न क्षेत्रों में जाकर कुछ मतदाताओं से बात की तो लगा कि इस डर्टी पिक्चर की पूरी कहानी उन्हें पहले से मालूम है.एक मतदाता ने तो क्षुब्ध होकर अपने पार्षद के सम्मान में कहा, मन होता है सबके सामने उसके मुंह पर थूक दूं.
अंतिम महिला पार्षद ने अपनी कीमत लगवाई तीन लाख अंतिम महिला पार्षद ने अपनी कीमत लगवाई तीन लाख Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on June 10, 2012 Rating: 5

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