
फिर भी दिल ए गुमा है उनपे और,
कहने को तो हर बातें नज़रों से केह दिया
जो न केह सका वो जुव़ा है और !!
गुरवत की संजीदगी समेट कर
जो तीरे ए नज़र चलाया,
लाल रंग से भींगा वो
हाले ए दिल मेरा है और,
यूँ तो तेरे हुस्न के तरकश में
खंजर है बहुत,
पर जिससे घायल हुआ मेरा कद
तेरा वो कमा (कमान) है और,
तू क्या है और किसको है तेरी जरुरत,
पाया है जिसने तुझको
उसका हाले दिल बया है और,
यूँ तो तेरी हर तारीखे खली है
मेरे चाहतों के पन्नो में,
ढूंढा जब कुछ पाने के लिए उन पन्नो से,
जो मिला निशा वो खला है और,
हूँ में अश्कों के सायों में फिर भी
दिल ए गुमा है उनपे और,
कहने को तो हर बातें नज़रों से केह दिया
जो न केह सका वो जुव़ा है और !!
--अजय ठाकुर,नई दिल्ली
जो मिला निशा वो खला है और.... !!
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
March 04, 2012
Rating:

बहुत ही खुबसूरत
ReplyDeleteऔर कोमल भावो की अभिवयक्ति......
Bahut Bahut sukriya Aahuti ji ...
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