राकेश सिंह /१६ फरवरी २०१२
अभियुक्त की निर्मम पिटाई फिर जेल में अभियुक्त को ठीक से खाने नहीं देना और उसके इलाज में लापरवाही से अभियुक्त की हुई मौत से अब दारोगा, जेलर और डॉक्टर कटघरे में आ गए हैं.मुरलीगंज के सिंगियोन पंचायत के धरहरा गाँव के कुलानन्द की गलती महज इतनी थी कि उसका भतीजा गाँव की एक लड़की को लेकर भाग गया था.कुलानन्द ने भतीजा नवीन को मोबाइल पर वापस आने को समझाया था.लड़की पक्ष ने पुलिस को पैसे देकर कुलानन्द को फंसाने की चाल चली.पुलिस ने नवीन के मोबाइल प्रिंट निकाल कर उसमे कुलानन्द से हुई बात को आधार बनाया और फिर जो हुआ उससे फिर से पुलिस की काली करतूत उजागर हुई.कुलानन्द को पुलिस ने बेरहमी से पीटा और जेल भेज दिया.चोट बहुत ही गहरी थी और जेल प्रशासन ने भी कुलानन्द को रखने में लापरवाही बरती. जेल डॉक्टर ने भी इलाज अनमने ढंग से किया और फिर एक महीने के बाद कुलानन्द ने जेल में ही दम तोड़ दिया.मौत के बाद भी पुलिस ने कुलानन्द को हथकड़ी में ही रखा था.मधेपुरा टाइम्स ने इस पूरे प्रकरण पर विस्तार से खबर प्रकाशित की थी और मानवाधिकार आयोग को भी पुलिस की करतूत के बारे में सूचित किया था.
पति की मौत से आहत सीता देवी ने अब पति की मौत को हत्या मानते हुए मुरलीगंज से थानाध्यक्ष रमाशंकर प्रसाद,मंडल कारा मधेपुरा के जेलर, जेल अधीक्षक और जेल डॉक्टर शमीम समधी पर न्यायालय में साजिस के तहत हत्या का मुकदमा दर्ज कराया है.सीता देवी ने आरोप लगाया है कि दारोगा ने उससे बीस हजार रूपये की मांग की थी,नहीं देने पर पति को घसीट कर मारा था.दो दिनों तक भूखा रख पुलिस ने मारपीट की थी और तब २६ नवंबर को जेल भेजा.जेल में भी पति के साथ क्रूर व्यवहार किया गया.जेलर ने समय से इलाज नहीं कराया और खाने को उसे बचा-खुचा आधा पेट भोजन दिया.डॉक्टर ने भी ठीक से इलाज नहीं किया जिससे उसकी पति की मौत हो गयी.मरने से पहले उसके पति ने उसे सबकी करतूत के बारे में रो-रोकर कहा था.
सीता देवी के आरोप से जानने वाले अधिकाँश लोग सहमत हैं.बात साफ़ है जिले में पैसे के बल पर किसी निरीह को अरेस्ट करवा कर उसकी पुलिस द्वारा निर्ममता से पिटाई करवा देना कोई बड़ी बात नहीं है.मधेपुरा पुलिस की छवि पहले से दागदार है और ऐसी करतूत से पुलिस की साख को फिर से बट्टा लगा है.आवश्यकता है दोषियों को फांसी की सजा देने की ताकि जिले में फिर दूसरे कुलानन्द की मौत न हो सके.
दारोगा, जेलर और डॉक्टर पर हत्या का मुकदमा
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
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February 16, 2012
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