रोज उनका आना और जाना मेरी कुँच से,
मैं पूछ बैठा नाम, वो बेअदब से हँस दिए.
मैंने था बहुत चाहा उनको दिल से दोस्तों,
जब जब किया सलाम, वो बेअदब से हँस दिए.
मैं प्यासा था बहुत और उसने जात पूछ ली,
मैंने कहा इंसान, वो बेअदब से हँस दिए.
मैंने कहा इंसान, वो बेअदब से हँस दिए.
इक जुर्म करके वो बहुत ही मायूस थी,
मैंने ले ली अपने नाम, वो बेअदब से हँस दिए.
--शम्भू साधारण,(shambhuaundurscore786@gmail.com)
वो बेअदब से हँस दिए
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
December 19, 2011
Rating:

No comments: