राकेश सिंह/०२ नवंबर २०११
“हम भारत के लोक सेवक सत्य-निष्ठा से प्रतिज्ञा करते हैं कि हम अपने कार्यकलापों के प्रत्येक क्षेत्र में ईमानदारी और पारदर्शिता बनाए रखने के लिए निरंतर प्रयत्नशील रहेंगे.हम जीवन के प्रत्येक क्षेत्र से भ्रष्टाचार उन्मूलन करने के लिए निर्बाध रूप से कार्य करेंगे.”
३१ अक्टूबर को राज्य सरकार के निर्देश के आलोक में समाहरणालय के सभाकक्ष और एसपी कार्यालय में भ्रष्टाचार निवारण संबंधी सतर्कता अभिचेतना सप्ताह कार्यक्रम के दौरान पदाधिकारियों और कर्मचारियों ने उपरोक्त शपथ ली.
और जिले से भ्रष्टाचार मिट गया?इस बात पर मुझे एक कहानी याद आ रही है.एक बहेलिये ने ढेर सारे बोलने वाले तोतों को यह सिखाकर उड़ा दिया कि “शिकारी आएगा,जाल बिछायेगा,दाना डालेगा,लोभ से उसमें फंसना नहीं.” एक दूसरा बहेलिया जब शिकार के लिए उस जंगल में आया तो देखा कि सारे तोते रट रहे थे, “शिकारी आएगा,जाल बिछायेगा,दाना डालेगा,लोभ से उसमें फंसना नहीं.” पहले तो ये दूसरा बहेलिये यह सुनकर निराश हुआ,फिर सोचा जब आये हैं,तो जाल बिछाकर देखते हैं.बहेलिये ने जाल बिछाया और उसमे सारे तोते आ कर फंस गए.जाल के अंदर भी तोते रट लगा रहे थे, “शिकारी आएगा,जाल बिछायेगा,दाना डालेगा,लोभ से उसमें फंसना नहीं.”
दरअसल अधिकारी और कर्मचारी रूपी तोते भी भ्रष्टाचार मिटाने हेतु शपथ लेकर सिर्फ रट लगाने जैसा ही काम करते हैं.सरकार ने निर्देश दिया तो शपथ भी ले डाली और इसे समाचारपत्रों में पढकर सरकार भी मोगेम्बो की तरह खुश हुए.राज्य समेत जिले में भ्रष्टाचार के जो वर्तमान हालत हैं वो बहुत ही शर्मनाक हैं.जिले में विभिन्न विभागों में अभी महीने में करोड़ों रूपये घूस और कमीशन (घूस का आधुनिक और उन्नत प्रकार) के रूप में लेनदेन किये जाते हैं.मनरेगा से लेकर आंगनबाड़ी, ट्रेजरी से लेकर शिक्षा विभाग, हर तरफ घूस का बाजार गर्म है.घूस लेने वाले बड़ी गाड़ियों पर चढ रहे हैं और यही लोग दूसरों के आदर्श के रूप में माने जाते है.बात सीधी है जब तक लोग मन और कर्म से (सिर्फ वाणी से नहीं) भ्रष्टाचार मिटाने को नहीं सोचेंगे और जब तक घूस न लेना है,न देना
है की कसम नहीं उठाएंगे और सरकार चीन की तरह घूसखोरों को फांसी के फंदे से नहीं लटकाएगी, भ्रष्टाचार मिटाने की बात कोरी बकवास ही रहेगी.सरकारी विज्ञापनों पर दस-बारह प्रकार के स्लोगन, यथा, “घूसखोरों का क्या जीना,रात में नींद न दिन में चैना”.आदि-आदि लिखवा देने से अगर घूसखोरी बंद हो जाता तो इस विधि से दुनियां से भ्रष्टाचार कब का मिटा दिया जाता. मुझे तो लगता है कि स्लोगन बनाने और बनवाने में भी कुछ लोगों ने कमीशन खाए होंगे.
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इस अवसर पर हुए सेमिनार में भाषण देने वालों वक्ताओं और उपस्थित लोगों में कुछ लोगों के ईमानदार चरित्र होने पर भी मुझे शक है.भ्रष्टाचार पर सतर्कता अभिचेतना सप्ताह पर वक्ता या श्रोता बनना बहुत ही आसान है,पर ईमानदार बनना उतना ही कठिन.भ्रष्टाचार मिटाना मुझे तो किसी के बूते की बात नहीं लगती.पर उम्मीद नहीं छोडनी चाहिए.भगवान करे,इस शपथ के बाद और शपथों की आवश्यकता नहीं पड़े.
और जिले से भ्रष्टाचार मिट गया?
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
November 02, 2011
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