
चंद पलों की ख़ुशी के लिये,
बन के चकोर जैसे इंतजार किया
पूनम की हर रात के लिये,
पर भूल कैसे बैठा था मैं ये
कि उस चाँद का रिश्ता आसमा से है,
ओर मेरा जर्रे सा वजूद इस जमी से है,
इसलिए तो आज कहीं अपने
अश्कों को छुप छुप के बहाता हूँ ,
ये सोच कर कि वजह ना पूछ ले,
जिसके नाम के पीछे आना था नाम मेरा,
वहीँ तरस खा के मुझपे
कोई अपना नाम ना जोड़ ले,
ऐ वक़्त यूँ हंस मत मेरे बेवसी पे,

यहाँ हर कुछ मुमकिन है
बेवफा किस्मत के लिए,
मैंने तन्हाई से दोस्ती की
चंद पलों की ख़ुशी के लिये,
बन के चकोर जैसे इंतजार किया
पूनम की हर रात के लिये !!
तू आज दूर है मुझसे,
फिर भी इस गमो के पतझड़ में
कभी कभी तेरी खुशियों के
सावन को महसूस करता हूँ,
बस तेरी इस रहमत का
साया बना रह मुझपे,
इतनी गुजारिश उस
दर्द देने वाले खुदा से करता हूँ,
मेरे जज्बातों को कुछ और ना समझना,
क्यूंकि मैंने इस दर्द की ज़िंदगी चुना है
बस तेरी एक हंसी के लिये,
मैंने तन्हाई से दोस्ती की
चंद पलों की ख़ुशी के लिये,
बन के चकोर जैसे इंतजार किया
पूनम की हर रात के लिये !!
तमन्ना आज भी मेरी यही है
तेरे हिस्से में हर वो बहार आये
जिसके सपने तूने सजाये है,
खता हुई हो हम से कभी तो माफ़ करना,
पर खफा होके कभी ये
मत कहना कि हम पराये है ,
बहुत दूर जा रहा हूँ तेरे इस ज़िंदगी से
बस इतनी सी वफ़ा लिये,
मैंने तन्हाई से दोस्ती की
चंद पलों की ख़ुशी के लिये,
बन के चकोर जैसे इंतजार किया
पूनम की हर रात के लिये !!
बहुत दूर जा रहा हूँ तेरे इस ज़िंदगी से
बस इतनी सी वफ़ा लिये,
मैंने तन्हाई से दोस्ती की
चंद पलों की ख़ुशी के लिये,
बन के चकोर जैसे इंतजार किया
पूनम की हर रात के लिये !!
--अजय ठाकुर,नई दिल्ली
मैंने तन्हाई से दोस्ती की चंद पलों की ख़ुशी के लिये !!
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
November 03, 2011
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bahut hi achhi kavita likhne lge hain aap ajay ji,,,,,,,,,,,,very nice. keep it up.
ReplyDeletethnxx a lot pallavi ..it's my pleasure u like it .. :)
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