आज नहाय खाय के साथ ही जिले में आस्था का
महापर्व छठ शुरू हो गया.जहाँ बाजार विभिन्न तरह के फलों से पटा हुआ है वहीं छठ के घाटों को सजाने की तैयारी ने भी जोर पकड़ लिया है.मधेपुरा के विभिन्न घाटों को जहाँ लोग सजाने में पस्त दिखे वहीं जनप्रतिनिधि अपने घरों में आराम करने में मस्त हैं.मधेपुरा टाइम्स टीम ने जब विभिन्न घाटों का जायजा लिया तो वहां घाटों को सजा रहे लोगों ने बताया कि प्रशासन
ने सिर्फ आश्वासन दे दिया कि कोई दिक्कत होगी तो कहियेगा,जबकि यहाँ दिक्कत ही दिक्कत है.खबर करने पर जो अधिकारी आ रहे हैं वे फिर से आश्वासन देकर ऐसे गायब होते हैं जैसे गधे के सिर से सिंग.केबी वीमेंस कॉलेज के घाट पर कार्यपालक पदाधिकारी लखेंद्र पासवान आज पहुंचे तो जरूर,पर समस्या देखकर आश्वासन की घुट्टी पिलाकर उन्होंने भी खिसकना ही बेहतर समझा.
महापर्व छठ शुरू हो गया.जहाँ बाजार विभिन्न तरह के फलों से पटा हुआ है वहीं छठ के घाटों को सजाने की तैयारी ने भी जोर पकड़ लिया है.मधेपुरा के विभिन्न घाटों को जहाँ लोग सजाने में पस्त दिखे वहीं जनप्रतिनिधि अपने घरों में आराम करने में मस्त हैं.मधेपुरा टाइम्स टीम ने जब विभिन्न घाटों का जायजा लिया तो वहां घाटों को सजा रहे लोगों ने बताया कि प्रशासन
ने सिर्फ आश्वासन दे दिया कि कोई दिक्कत होगी तो कहियेगा,जबकि यहाँ दिक्कत ही दिक्कत है.खबर करने पर जो अधिकारी आ रहे हैं वे फिर से आश्वासन देकर ऐसे गायब होते हैं जैसे गधे के सिर से सिंग.केबी वीमेंस कॉलेज के घाट पर कार्यपालक पदाधिकारी लखेंद्र पासवान आज पहुंचे तो जरूर,पर समस्या देखकर आश्वासन की घुट्टी पिलाकर उन्होंने भी खिसकना ही बेहतर समझा.
कई घाटों पर नदी का किनारा इतनी ऊँचाई पर है कि उतरने के लिए मिट्टी काटकर सीढ़ी बनाना मुश्किल हो रहा है.प्रशासन ने एकाध जगह जेसीबी मशीन भेजा तो जरूर पर इसका कामचोर ड्राइवर काम की अधिकता देखकर मशीन लेकर भाग निकला. घाटों पर जनप्रतिनिधियों के नहीं पहुँचने से श्रद्धालु निराश है.सिर्फ केबी वीमेंस कॉलेज के घाट पर वार्ड
पार्षद ध्यानी यादव लोगों की मुश्किलों को दूर करने के प्रयास में दिखे.सूत्रों की मानें तो इस बार प्रशासन के द्वारा वार्ड पार्षदों को छठ के घाट की सफाई हेतु अलग से राशि नहीं मिलने के कारण उन्हें इस काम में कोई बचत या फायदा नहीं लग रहा है.इनका सोचना ये है कि जनसमस्या तभी सुनी जा सकती है,जब इसमें भी कुछ माल डाउन हो जाय.
पार्षद ध्यानी यादव लोगों की मुश्किलों को दूर करने के प्रयास में दिखे.सूत्रों की मानें तो इस बार प्रशासन के द्वारा वार्ड पार्षदों को छठ के घाट की सफाई हेतु अलग से राशि नहीं मिलने के कारण उन्हें इस काम में कोई बचत या फायदा नहीं लग रहा है.इनका सोचना ये है कि जनसमस्या तभी सुनी जा सकती है,जब इसमें भी कुछ माल डाउन हो जाय. जो भी हो,ऐसे में यदि छठ के घाट पर कोई दुर्घटना होती है तो इसके लिए प्रशासन और इन जनप्रतिनिधियों को ही जिम्मेवार ठहराया जाना चाहिए.मालूम हो कि छठ का सूर्य को शाम का अर्ध्यदान १ नवंबर और सुबह का अर्ध्यदान २ नवंबर को होगा.
नहाय-खाय आज,छठ के कई घाट हैं अबतक खतरनाक
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
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October 30, 2011
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