राकेश सिंह/०८ सितम्बर २०११
अब दिल्ली दहली है.पहले मुम्बई दहली थी.जांच एजेंसियों को फिर से सक्रिय देखा जा सकता है.अपराधियों के स्केच भी जारी कर दिए गए हैं.हो सकता है कुछ गिरफ्तारियां भी हों.फिर चलेगा एक लंबा ट्राइल.हजारों पन्नों में निर्णय लिखे जा सकते हैं.सजा भी फांसी की हो सकती है,पर अपने देश में आतंकवादियों को फांसी कब मिलेगी,कहना मुश्किल है.जेल में पड़े अफजल और कसाब जैसे आतंकवादियों को जेल में रखने पर जो खर्च किये जा रहे हैं,वो आम आदमी की अनुमान से बाहर हैं.देखा जाय तो सरकार की टालू
नीति भी देश में आतंकवादियों के हौसले बुलंद करने में सहयोग कर रही है.आतंकवाद के केस में स्पीडी ट्राइल की जरूरत है.प्रधानमंत्री का ये कह देना कि ये कायरता पूर्ण कदम है,नाकाफी है.आतंकवादी सरकार के कदम को ही कायरतापूर्ण समझ रहे होंगे.इनके साथ नरमी बरतने का समय बिलकुल नहीं है.सरकार को चाहिए पहले से जेल में बंद आतंकवादियों को जल्द फांसी के तख्ते पर लटकाए और भविष्य में भी जिन आतंकवादियों पर दोषसिद्ध हो जाये,उन्हें भी मृत्युदंड देने में देर न की जाय.मेरा तो ये मानना है कि बड़े आतंकवादियों को फांसी पर चढाते समय टीवी वालों को उस समय का सीधा प्रसारण करने की भी अनुमति मिलनी चाहिए ताकि देखकर आतंकवादियों के हौसले पस्त हो सके.
नीति भी देश में आतंकवादियों के हौसले बुलंद करने में सहयोग कर रही है.आतंकवाद के केस में स्पीडी ट्राइल की जरूरत है.प्रधानमंत्री का ये कह देना कि ये कायरता पूर्ण कदम है,नाकाफी है.आतंकवादी सरकार के कदम को ही कायरतापूर्ण समझ रहे होंगे.इनके साथ नरमी बरतने का समय बिलकुल नहीं है.सरकार को चाहिए पहले से जेल में बंद आतंकवादियों को जल्द फांसी के तख्ते पर लटकाए और भविष्य में भी जिन आतंकवादियों पर दोषसिद्ध हो जाये,उन्हें भी मृत्युदंड देने में देर न की जाय.मेरा तो ये मानना है कि बड़े आतंकवादियों को फांसी पर चढाते समय टीवी वालों को उस समय का सीधा प्रसारण करने की भी अनुमति मिलनी चाहिए ताकि देखकर आतंकवादियों के हौसले पस्त हो सके.
आतंकवादियों को दामाद की तरह रखेंगे तो यही होगा हश्र
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
September 08, 2011
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इस देश का कानून कितना अजीब है ,जो हमारे घर में घुस कर हमें आतंकित करता है,हमें कत्ले आम करता है ,हमारी बहु बेटियों को जिंदगी भर आंसुओं की धार में डूबे रहने को विवश करता है ,हम उसे अपने घर में आलिशान सुविधा प्रदान करते हैं ,उनकी डिमांड पर भोजन देते हैं ,वो हरामजादा हमें डर देता है , हम उसे अपना घर देते हैं /फांसी की सजा उसके लिए कम है बहुत कम ,उसे भारत की जनता के हवाले कर दो भारत की जनता खुद हिसाब कर लेगी /उसकी बोटियाँ काट-काट कर उसके देश में उसके परिवार वालों को भेज देंगे /
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