चंचल:मुझे साजन के घर जाना है |
कहानी पुरानी है,अंदाज भी पुराना है.जिले में प्यार के मुसाफिरों में ये सिस्टम सबसे ज्यादा पोपुलर है.अभिभावक उंच-नीच समझाने लगे तो प्रेमी और प्रेमिका घर छोड़ कर भाग जाते हैं.लड़की के पिता लड़के पर अपहरण का मामला दर्ज कराते हैं.लड़की न्यायालय में आकर कहती है, जज साहब मेरा अपहरण नहीं हुआ,मैं उससे प्यार करती थी,मर्जी से घर छोड़कर गयी और शादी भी कर ली है.अब मैं अपने पिता के घर नहीं बल्कि अपने ससुराल जाउंगी.बाद में लड़के ने आसानी से जमानत ली और फिर प्रेमी-प्रेमिका मियां-बीबी बनकर साथ रहने लगे.
पर चौसा के इस मामले में तो अभिभावकों ने समय से पहले ही प्रेमियों के जिद और जज्बात के सामने घुटने टेक दिए.मामला करीब आठ महीना पुराना है जब चौसा बाजार के मानिक चंद भगत ने पवन यादव के खिलाफ थाने में इस आशय का मुकदमा दर्ज कराया कि पवन ने उसकी नाबालिग बेटी चंचल कुमारी का अपहरण कर लिया है.पर बताया जाता है कि घर से भागे पवन और चंचल ने अपने अभिभावकों पर बाहर से ही मान जाने का दवाब बनाना शुरू किया.दवाब सफल रहा.दोनों पक्ष ने न्यायालय में सुलहनामा आवेदन (कॉम्प्रोमाइज पीटिशन) दाखिल किया और अन्तर्जातीय विवाह करने वाले पवन व उसके परिवार इस मामले में काफी खुशनसीब रहे कि उन्हें न्यायालय से आज अग्रिम जमानत मिल गयी.न्यायालय में भी चंचल ने कहा कि हमने मर्जी से शादी कर ली है.कथित अपहरण का मामला निकला शुद्ध प्रेम-प्रसंग और आज चंचल पवन के साथ चल पड़ी पिया के घर.
(मधेपुरा टाइम्स ब्यूरो)
अपहरण निकला दिलदा मामला, आल आर हैप्पी
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
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August 10, 2011
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