सावधान ! मनचले भी एक्टिव हैं सिंघेश्वर स्थान में

राकेश सिंह/२५ जुलाई २०११
सावन के इस महीने में भक्तों (खासकर भक्तिनों) की विशेष खिदमत हेतु मनचलों की कई टीम सिंघेश्वर में सक्रिय हो गयी है. बता दें कि सावन की सोमवारी को पुरुष एवं महिला भक्त बड़ी संख्यां में सिंघेश्वर पूजा करने आते हैं.बहुत सी औरतें और लड़कियां ग्रुप  में  पैदल भी सिंघेश्वर जाती हैं.मनचलों की टीम रास्ते से ही इनका पीछा करना शुरू कर देते हैं और बातें करने की भी कोशिश करते हैं.चूंकि मंदिर के प्रांगन में पुलिस की सख्त व्यवस्था में इन मनचलों की इस बार चल नही पा रही है,इसलिए ये मंदिर के बाहर ही अपनी दाल गलाने के प्रयास में लगे रहते हैं.देखने में अत्याधुनिक किस्म के इन लड़कों में अधिकांश टीनेजर्स हैं, जो ख्याली दुनियां में रहते हैं और इनकी सोच मुंगेरीलाल जैसी होती है. इन्हें इस बात से कोई लेना देना नहीं होता है कि पूजा करने जाते समय मन का पवित्र होना भी जरूरी है.कुछ रईसजादे तो अपनी कार या मोटरसायकिल लेकर भी सिंघेश्वर टेम्पो स्टैंड के पास खड़े मिल सकते हैं और ये लौटते वक्त टेम्पो की तलाश करती वैसी लड़कियों की तलाश में रहते हैं जिनके साथ कोई मर्द नहीं (यानि खतरा कम) हो.
    मधेपुरा के गुलजारबाग तथा विद्यापुरी की कुछ महिलाओं ने बताया कि आज भी कान में इयरफ़ोन डाले मॉडर्न किस्म के अपरिचित लड़कों ने उनसे अपनी गाड़ी में बैठने की गुजारिश की.कहा- हम भी मधेपुरा ही जा रहे हैं,चलिए न पहुंचा देते हैं. कई अन्य महिलाओं ने भी इन उचक्कों से तंग आने की भी बात कही. प्रशासन को चाहिए कि पुलिस गश्ती दल की व्यवस्था सिंघेश्वर के रास्तों पर भी करें ताकि भक्तगण तनाव रहित होकर बाबा भोले की पूजा कर सकें.वर्ना ये मनचले सड़क पर गाते मिलेंगे ही-
आजा मेरी गाड़ी में बैठ जा,खाना-पीना, गाना-बजाना गाड़ी में होगा सनम
सावधान ! मनचले भी एक्टिव हैं सिंघेश्वर स्थान में सावधान ! मनचले भी एक्टिव हैं सिंघेश्वर स्थान में Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on July 25, 2011 Rating: 5

2 comments:

  1. सिर्फ मनचले ही नहीं मनचली की भी कमी नहीं है /सिंघेस्वर में हो या कही और कोई फर्क नहीं पड़ता /ताज्जुब तो इस बात का है की सिर्फ लड़कों को ही दोषी क्यों माना जाता है ?आज की लड़कियां और कम उम्र महिलाएं क्या कम कहर बरपातीं हैं ? कभी -कभी तो ये भी देखने को मिल जायेगा की लड़कियां छाती तान कर आ जा रही हैं और लड़के या मर्द सहम कर लाज कहिये या डर अलग खड़े हैं इस आशा में कि इन्हे फुर्सत हो तो हम भी आगे बढे /समाज का सिर्फ पुरुस वर्ग ही दोषी है ऐसी बात नहीं है /और फिर पुलिसगश्ती दल के लोग क्या आँख सेंकने में पीछे रहते हैं ?

    ReplyDelete
  2. Are sir kisi bhee field me ladkiyan aajkal ke ladkon se aage hi hai.jara inki bhi tarif honi chahiye.

    ReplyDelete

Powered by Blogger.