पंकज भारतीय/१३अक्टूबर २०१०
प्रथम चरण के चुनावी बिसात पर शह और मात का खेल शुरू हो चुका है.चुनाव में हेलीकॉप्टर के माध्यम से जहाँ महारथी चुनाव प्रचार में लगे हुए हैं वहीं चुनावी महाभारत के 'रथी' बोलेरो और स्कोर्पियो पर सवार होकर मतदाताओं से रू-बरू हो रहे हैं.चुनावी रथी से हमारा मतलब यहाँ कार्यकर्ता से है.दरअसल किसी भी चुनाव में कार्यकर्ता ही चुनावी लड़ाई के रीढ़ होते हैं.चुनाव न प्रत्याशी लड़ता है और न ही स्टार प्रचारक.जाहिर है
प्रत्याशी के कार्यकर्ता ही प्रत्याशी की जीत सुनिश्चित कराते हैं.अब आइए, देखिये कि कितने प्रकार के कार्यकर्ता चुनावी मैदान में डटे हुए हैं-
प्रत्याशी के कार्यकर्ता ही प्रत्याशी की जीत सुनिश्चित कराते हैं.अब आइए, देखिये कि कितने प्रकार के कार्यकर्ता चुनावी मैदान में डटे हुए हैं-
१. कैडर कार्यकर्ता- कैडर कार्यकर्ता जिस प्रत्याशी के पास है उसकी जीत सुनिश्चित मानी जा सकती है.ये दल विशेष से जुड़े होते हैं और इनकी निष्ठा भी दल विशेष के प्रति ही होती है.कोई भी प्रत्याशी हो,ये अपने दल के प्रचार में लगे रहते हैं.कह सकते हैं कि सबसे सर्वोत्तम नस्ल के ये कार्यकर्ता होते हैं.

३.साधारण कार्यकर्त्ता- आप कह सकते हैं कि ये कार्यकर्ता चुनावी राजनीति के 'नत्था' होते हैं.ये दल विशेष से जुड़े होते हैं और इनकी निष्ठा भी दल के प्रति ही होती है.लेकिन ये हमेशा हाशिए पर रहते हैं.इनकी महत्ता समझकर पूरे चुनाव तक पार्टी इनको इज्जत देती है.मूलत: कृषि से जुड़े हुए ये लोग वोट के बाद राजनीति से दूर ही रहना पसंद करते हैं.चूंकि ये समाज के भले मानुष होते हैं,इसलिए समाज में इनकी पूछ भी होती है.
चेतावनी: चुनावी मैदान में किस्मत आजमा रहे प्रत्याशी सावधान ! टपोरी कार्यकर्ता आपकी हार का कारण बन सकते हैं.
'टपोरी' कार्यकर्ता करेंगे नेताजी का सत्यानाश
Reviewed by Rakesh Singh
on
October 13, 2010
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