मुरौत से लौटकर रूद्र नारायण यादव/२५ जुलाई २०१०/
२८ जून २०१० को मधेपुरा टाइम्स ने एक खबर प्रकाशित की थी जिसका शीर्षक था "आलमनगर का मुरौत गांव कोशी में विलीन:चार करोड़ की बंदरबाँट".हमने मुरौत गांव का फिर दौरा किया और पाया कि अब स्थिति और भी भयावह हो चुकी है.जिन सपनों को गांव वालों ने बड़ी उम्मीद से संजोया था वे सपने बिखर गए हैं.प्रशासन की उदासीनता साफ़ झलक रही
है.अपने हाथों से बनाये आशियानों को गांव वाले उसी हाथों से तोड़ रहे हैं.नीचे वाले और उपरवाले दोनों ने उनके साथ ज्यादती की है.गांव को बचाने के नाम पर करोडों की राशि का बंदरबांट कर लिया गया है.बीच में तो गांव वालों ने वहां हो रहे काम को भी बंद करा दिया था,आरोप था कि कार्य सही ढंग से नही कराया जा रहा है और सरकारी अधिकारी और ठेकेदार गाँव बचाने के नाम पर लूट मचाये हुए हैं.बाद में डीएम ने गांव वालों को समझा बुझा कर शांत किया था और ग्रामीणों की एक समिति गठित कर बचाव कार्य फिर से प्रारंभ किया गया था.अब जल संसाधन विभाग के अभियंता जवाहर लाल मंडल बचाव कार्य की नाकामयाबी को ग्रामीणों के सर पर ही डाल रहे हैं कि यदि ग्रामीणों
ने एक महीने काम नही रोका होता तो इतनी मुश्किल नहीं हुई होती.जबकि ग्रामीणों का कहना है कि हमने सरकार को वर्षों समय दिया तब तो वे कुछ कर ही नही पाए और अब क्या कर पायेंगे.रोज ही गांव का एक हिस्सा कोशी ही गोद में समां रहा है.
ताजा स्थिति यह है कि पहले पश्चिम की ओर कटाव तेज था अब पूरब की ओर.कोशी मईया इतनी उग्र हो गयी है कि गांव के शिव मंदिर को अब लीलने पर तुली हुई है.अगर भगवान शिव का मंदिर कोशी की चपेट में आ जाता है तो पौराणिक सभी कथाएं मुरौत में धाराशायी हो जायेगी.गांव वाले खाने पीने की सामग्री भी नाव से ही नवगछिया आदि जगहों से लाते हैं.पशुधन उनकी आँखों के सामने कोशी बहा ले जाती है.कुल मिलकर अब स्थिति काफी दर्दनाक है,नेताओं ने भी मुंह मोड सा लिया है.शायद कोई चमत्कार ही इस गांव को मानचित्र पर से विलुप्त होने से बचा सकता है,जिसकी उम्मीद नही के बराबर है.
मुरौत के ताजा कटाव पर वीडियो देखने के लिए यहाँ क्लिक करें.
है.अपने हाथों से बनाये आशियानों को गांव वाले उसी हाथों से तोड़ रहे हैं.नीचे वाले और उपरवाले दोनों ने उनके साथ ज्यादती की है.गांव को बचाने के नाम पर करोडों की राशि का बंदरबांट कर लिया गया है.बीच में तो गांव वालों ने वहां हो रहे काम को भी बंद करा दिया था,आरोप था कि कार्य सही ढंग से नही कराया जा रहा है और सरकारी अधिकारी और ठेकेदार गाँव बचाने के नाम पर लूट मचाये हुए हैं.बाद में डीएम ने गांव वालों को समझा बुझा कर शांत किया था और ग्रामीणों की एक समिति गठित कर बचाव कार्य फिर से प्रारंभ किया गया था.अब जल संसाधन विभाग के अभियंता जवाहर लाल मंडल बचाव कार्य की नाकामयाबी को ग्रामीणों के सर पर ही डाल रहे हैं कि यदि ग्रामीणों
ने एक महीने काम नही रोका होता तो इतनी मुश्किल नहीं हुई होती.जबकि ग्रामीणों का कहना है कि हमने सरकार को वर्षों समय दिया तब तो वे कुछ कर ही नही पाए और अब क्या कर पायेंगे.रोज ही गांव का एक हिस्सा कोशी ही गोद में समां रहा है.
ताजा स्थिति यह है कि पहले पश्चिम की ओर कटाव तेज था अब पूरब की ओर.कोशी मईया इतनी उग्र हो गयी है कि गांव के शिव मंदिर को अब लीलने पर तुली हुई है.अगर भगवान शिव का मंदिर कोशी की चपेट में आ जाता है तो पौराणिक सभी कथाएं मुरौत में धाराशायी हो जायेगी.गांव वाले खाने पीने की सामग्री भी नाव से ही नवगछिया आदि जगहों से लाते हैं.पशुधन उनकी आँखों के सामने कोशी बहा ले जाती है.कुल मिलकर अब स्थिति काफी दर्दनाक है,नेताओं ने भी मुंह मोड सा लिया है.शायद कोई चमत्कार ही इस गांव को मानचित्र पर से विलुप्त होने से बचा सकता है,जिसकी उम्मीद नही के बराबर है.
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मुरौत का कटाव हुआ भयावह:विलुप्त होने को है गांव
Reviewed by Rakesh Singh
on
July 25, 2010
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