रूद्र नारायण यादव/०७ मई २०१०
.जरूरत है की सरकार व जिला प्रशासन ठोस कदम उठा कर हर पीड़ित तक राहत पहुंचाए.
पहले दौर में आये चक्रवाती तूफ़ान के सदमे से अभी मधेपुरा और आसपास के लोग उबरे भी नहीं थे क़ि लगातार तूफ़ान का कहर शुरू हो गया और कितनी जिंदगियां बर्बादी के कगार पर पुन: पहुँच गयी.
दूसरे और तीसरे दौर के तूफ़ान का सदमा तो ऐसा क़ि लोग अब भी सहमे हैं क़ि कहीं अगली आंधी में बची-खुची जिंदगी न नेस्तनाबूद हो जाए.इन आंधियों ने मधेपुरा व आसपास के क्षेत्र के हजारों घरों को तो बर्बाद किया ही, आम और खेत में लगे फसलों को भी जम कर बर्बाद किया.किसान रो रहें है कि न तो उन्हें सरकार से कोई सहायता मिल रही है और न ही उन्हें कोई दूसरा रास्ता नजर आ रहा है,
आत्महत्या भी करें तो परिवार रोएगा.सरकार तो सहायता की घोषणा कर देती है पर सहायता हर पीड़ित तक पहुँचने की कोई गारंटी नहीं है.जरूरत है की सरकार व जिला प्रशासन ठोस कदम उठा कर हर पीड़ित तक राहत पहुंचाए.
आंधी ने बर्बाद की लोगों की जिन्दगी
Reviewed by Rakesh Singh
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May 07, 2010
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