धार्मिक ग्रंथों में अपनी विशिष्ट पहचान लिए गरूड़ मधेपुरा समेत पूरे कोसी अंचल में विलुप्ति के कगार पर आ गया है.मालूम हो की नदी तथा तालाबों के समीप अभ्यारण करते गरूड़ अब बिरले ही देखने को मिल रहे हैं.
बगुला के सम्प्रजाति माना जाने वाला गरूड़ खेतों तथा नदियों में धडल्ले से प्रयोग हो रहे रसायनिक तथा अन्य दूषित पदार्थ के कारण इनकी प्रजनन क्षमता तथा अस्तित्व पर गहरा संकट मंडराने लगा है.पर्यावरणविद सरकार से इसके संरक्षण की मांग कर रहे हैं.
बगुला के सम्प्रजाति माना जाने वाला गरूड़ खेतों तथा नदियों में धडल्ले से प्रयोग हो रहे रसायनिक तथा अन्य दूषित पदार्थ के कारण इनकी प्रजनन क्षमता तथा अस्तित्व पर गहरा संकट मंडराने लगा है.पर्यावरणविद सरकार से इसके संरक्षण की मांग कर रहे हैं.
गिद्ध के बाद अब गरूड़ के अस्तित्व पर मँडराया खतरा
Reviewed by Rakesh Singh
on
April 21, 2010
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