सक्सेस स्टोरी (2): कभी कचरा बीनते थे मधेपुरा की गंदगी में और जूठा प्लेट तक उठाया. आज हैं एक बड़े होटल के मालिक और रहते हैं आलिशान घर में

मधेपुरा जिला मुख्यालय के मेन रोड में अवस्थित वैष्णव अमृत होटल के मालिक रामानंद साह उन युवाओं के लिए एक मिसाल की तरह साबित हो सकते हैं जो जिन्दगी को भंवर समझ कर इस उलझन में हैं कि व्यवसाय के क्षेत्र में कैसे सफल हुआ जाय.
संघर्ष का चरम रहा जिन्दगी में: वर्ष 1969 में मधेपुरा के भिरखी में एक होमगार्ड पिता बद्री साह के घर में जन्म


जीवन चलाने के लिए अब रामानंद ने मधेपुरा के स्टेशन के पास खुले एक होटल में काम करना शुरू किया. सुबह पांच बजे से रात ग्यारह बजे तक काम करने पर आधा पेट खाना मिलने लगा. पर मासूम हाथों से कभी उठाते-धोते वक्त प्लेट भी टूट जाते थे और मालिक की मार लग जाती थी. एक बार जब हिम्मत कर रामानंद ने मालिक से हिसाब के पैसे मांगे तो टूटे प्लेट में सारे पैसे काट कर मालिक ने थप्पड़ मारकर वहां से भी भगा दिया. वहां से काम छूटने के बाद रामानंद का अगला ठिकाना 1981 में डाक बंगला रोड में स्थित एक भूंजा की दुकान हुआ. होटल की 365 दिन और 18 घंटे रोज की नौकरी से परेशान रामानंद को यहाँ रविवार को छुट्टी मिल जाती थी और काम के एवज में दो रूपये रोज दिए जाते थे. (क्रमश:)
( रिपोर्ट: राकेश सिंह)
[अगला भाग यहाँ पढ़ सकते हैं: सक्सेस स्टोरी (2): संघर्ष में नहीं देता कोई साथ, पर धैर्य है आपका सच्चा साथी: छोटी चाय दूकान से बड़े होटल और घर का संघर्ष कहता है कुछ ख़ास ]
सक्सेस स्टोरी (2): कभी कचरा बीनते थे मधेपुरा की गंदगी में और जूठा प्लेट तक उठाया. आज हैं एक बड़े होटल के मालिक और रहते हैं आलिशान घर में
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
September 07, 2015
Rating:

No comments: