क्या कोसी में एनडीए के मुकाबले यूपीए दिख रहा पीछे ?

सुपौल - कोसी की राजनीति कोसी नदी की धारा की तरह ही परिवर्तनशील रही है.कोसी की धरती को समाजवादियों की धरती कही जाती रही है.लेकिन समजादवादी नेता गुणानंद ठाकुर, भूपेंद्र नारायण मंडल, विनायक प्रसाद यादव, अनुपलाल यादव सहित अन्य दिग्गजों को भी हार का स्वाद चखना पड़ा है. इसी धरती पर राष्ट्रीय स्तर के बाहरी नेता सहित कई दिग्गज नेता चुनाव के मैदान में उतरे आचार्य जे वी कृपलानी, शरद यादव, लालू प्रसाद यादव जीत का स्वाद चखे, लेकिन कोसी की जनता ने उन्हें भी घर वापसी करा दिया.
    दशक भर की राजनीति का अवलोकन करें तो कोसी की जनता ने नीतीश कुमार की पार्टी पर अपना भरोसा दिखाया है. फिलहाल कोसी के वर्तमान तीन जिले में सुपौल,सहरसा व मधेपुरा शामिल है. कोसी में एक कहावत प्रचलित है कि रोम है पोप का, मधेपुरा है गोप का. वहीं कोसी में आरएसएस का भी कभी संगठन मजबूत माना जाता था. वर्तमान स्थिति में आरएसएस को भी कम नहीं आंका जा सकता है. तेरह विधानसभा क्षेत्र वाले इस कोसी में जदयू का दस सीटों पर कब्जा है तो दो राजद व एक का प्रतिनिधित्व भाजपा कर रही है. जिसमें तीन विधानसभा सुरक्षित सीट घोषित है.
    लेकिन इस बार जिस प्रकार कोसी रौद्र रूप धारण करने के लिए जाना जाता है ठीक उसी प्रकार कोसी की जनता के समूह का रौद्र रूप धारण करने की सम्भावना दिखने लगी है. 'ऐ बैर बिहारो में मोदिये जी के सरकार के देखबे' कहने वालों की तादाद दिख रही है जो कोसी की बालू पर कमल खिला सकती है. लालू यादव व नीतीश कुमार के परंपरागत वोटों में सेंधमारी के आसार हैं. जदयू व राजद के समर्थकों में अविश्वास का भाव दिखता प्रतीत हो रहा है जो कमल खिलाने में सहायक साबित हो सकता है. जीतनराम मांझी, उपेंद्र कुशवाहा व रामविलास पासवान के एनडीए में आने से एनडीए का दलित, महादलित व पचपनिया यानि 55 जातियों का समूह एनडीए को मजबूत करने की स्थिति में दिख रहा है. पीएम मोदी के युवाओं को उनके सपने दिखाकर कर अपने पक्ष में करने व भाजपा की परिवर्तन की दौड़ में कोसी के दिग्गज नेता पूर्व मंत्री रविन्द्र चरण यादव, विश्वमोहन कुमार आदि भी भाजपा का दामन थाम चुके हैं तो जदयू विधायक नीरज कुमार बबलू के बागी तेवर महागठबंधन को करारा चोट कर सकते हैं. इधर मधेपुरा के सांसद और जन अधिकारपार्टी के पप्पू यादव की स्थिति भी अभी तक साफ़ नहीं है, पर एक बात साफ़ है कि वे लालू और नीतीश के खिलाफ हैं.
    वहीं भाजपा की तैयारी जोड़-शोर से चल रही है.जिसका उदाहरण है कि सुपौल में भाजपा का क्षेत्रीय कार्यालय पिछले एक महीने पूर्व से खुल चुका है, जहां से कोसी,मिथिलांचल,सीमांचल सहित समस्तीपुर जिले के विधानसभा का प्रबंधन हो रहा है. वहीं सभी इन विधानसभाओं में भाजपा का विधानसभाा कार्यालय खुल गया है.इन मामलों में महागठबंधन काफी पीछे दिख रहा है. वैसे कहते हैं क्रिकेट और राजनीति अनिश्चित्तता का खेल है और अंतिम गेंद पर किसी भी परिणाम की उम्मीद की जा सकती है.
क्या कोसी में एनडीए के मुकाबले यूपीए दिख रहा पीछे ?  क्या कोसी में एनडीए के मुकाबले यूपीए दिख रहा पीछे ? Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on September 06, 2015 Rating: 5

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