‘जहाँ कदम-कदम पर गंदगी और सूअर करते हैं बसेरा, ये मधेपुरा शहर है मेरा’

 |वि० सं०|05 मार्च 2014|
मधेपुरा नरक परिषद् में आपका स्वागत है. जी हाँ, मधेपुरा नगर परिषद् का नाम अब नरक परिषद् रख ही देना चाहिए. बड़े अरमान से यहाँ की जनता ने 26 वार्ड पार्षदों को चुना था कि शायद शहर का विकास हो सके. पर विकास गया भांड में, जनता के अरमानों पर गन्दा पानी फिर गया है.
      मधेपुरा नगर परिषद् के लगभग सभी 26 वार्ड की स्थिति नारकीय है. और इसे नारकीय बनाने के जिम्मेवार यदि नगर के कर्णधार वार्ड पार्षदों की टोली है तो नगर की अधिकाँश जनता भी इसके लिए कम जिम्मेवार नहीं.
      शहर के सुधार नहीं, बल्कि धनार्जन और अपना घर भरने के लिए चुनाव लड़ने वाले इन नगर के भविष्यों के चरित्र के बारे में लोगों को पहले से अंदाजा था, पर फिर भी किस मोह में आकर जनता ने इन्हें चुन कर कमाने-खाने के लिए छोड़ दिया ये तो वही जानते होंगे. और आज यदि लोग शहर में सूअरों के मल पर चल रहे हैं तो इसमें दोनों ही बराबर दोषी हैं.
      तस्वीरें बयां करती है नगर परिषद् क्षेत्र की स्थिति. ऐसे दृश्य शहर में कम से कम दो दर्जन जगहों की है. कचरे के ढेर पर बैठे मधेपुरा शहर में सूअरों की लड़ाई आमबात है और लोग इनसे बचते-बचाते जल्दी से घर या सुरक्षित जगह पहुँचने की कोशिश में रहते हैं.
      ऐसे में कभी भारत देश के लिए ये गीत कि जहाँ डाल-डाल पर सोने की चिडियाँ करती है बसेरा, ये भारत देश है मेरा को मधेपुरा के लोग इस तरह गा सकते हैं-
 जहाँ कदम-कदम पर गंदगी और सूअर करते हैं बसेरा, ये मधेपुरा शहर है मेरा
   जय हिंद, जय मधेपुरा.
‘जहाँ कदम-कदम पर गंदगी और सूअर करते हैं बसेरा, ये मधेपुरा शहर है मेरा’ ‘जहाँ कदम-कदम पर गंदगी और सूअर करते हैं बसेरा, ये मधेपुरा शहर है मेरा’ Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on March 05, 2014 Rating: 5

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