लड़ाई अभी बाकी है......

ठीक है, लालू यादव रात जेल में काट रहे हैं । चारा घोटाले में दोषी हो गये । तीन अक्‍तूबर को सजा भी मिलेगी । लेकिन बहुतों की तरह मैं इसे लालू का राजनीतिक अवसान मानने को तैयार नहीं हूं । नीतीश कुमार बगैर कुछ कहे खुश हो सकते हैं । राजद विधायक दल में तांक-झांक की कोशिश भी होगी । पर तय मानिये कि चुनाव में लालू प्रसाद का वोट और इंटैक्‍ट हो जायेगा ।
फैसले का नुकसान अभी बस इतना है कि लालू चुनाव नहीं लड़ सकते । सदस्‍यता जायेगी । जेल में दिन-महीना लग सकता है । तो क्‍या हुआ, किंगमेकर बनने से कोई थोड़े रोक लेगा । 2014 के चुनाव में वे 2009 की तरह कमजोर नहीं रहने जा रहे । चार से अधिक कितनी सीटें आयेंगी,अभी तो नहीं कहा जा सकता । लेकिन केन्‍द्र में सरकार बनाने के वक्‍त लालू प्रसाद की जरुरत सबों को होगी । एक-एक सांसद करोडों का होगा । और,लालू तो कई सांसदों की कुंजी थामे रहेंगे ही ।
              
सजा चुनाव प्रचार करने से नहीं रोकता । ऐसे भी अभिजात्‍य वर्ग लालू को वोट कहां करता । यह तो पिछले एक-दो वर्ष का डेवलेपमेंट है कि भूरा बाल वाले भी उन्‍हें सुनने को जाने लगे हैं । लेकिन इस वोट पर असली नजर भारतीय जनता पार्टी की है । सवाल 'माय' समीकरण का है । जहां तक मेरी समझ है,आप टोपी चाहे जितनी बार पहन लें,2014 में वे वोट नरेन्‍द्र मोदी को हराने के लिए क्षेत्रवार तय करेंगे । जदयू,राजद व कांग्रेस किसी से भी बैर नहीं रहेगा । हां,यादव और एकजुट हो जायेंगे । लालू इनके बीच मसीहा के रुप में पहुंचेंगे । देश के लाखों करोड़ के कई घोटालों की बात होगी । फिर किसको क्‍या सजा मिली,बहस तेज होगी । फैसले का दूसरा पक्ष यह भी है कि यादव गुस्‍से में 'टैक्टिकल वोटिंग' कर सकते हैं । मतलब जहां राजद जदयू के मुकाबले में नहीं दिखी,भाजपा को भी वोट कर देंगे ।
                 
नीतीश कुमार अपने एजेंडे पर ही चुनाव लड़ेंगे । विशेष दर्जा मिलने की दिशा में बढ़ती राह को चुनाव में भुनाया जायेगा । फायदे गिनाये जायेंगे । वैसे मुझे नहीं लगता कि दिखे कुछ भी,कांग्रेस से कोई गठबंधन हो पायेगा । कांग्रेस अब चार सीटों पर चुनाव लड़ने को तैयार होने वाली पार्टी नहीं है । बहुत सीटें नीतीश कुमार देंगे नहीं । नीतीश यह भी बेहतर जानते हैं कि कांग्रेस को राजद के करीब जाने से रोक देने मात्र से ही बहुत काम हो जायेगा । कांग्रेस सभी सीटों पर लड़ी,तो सबसे अधिक नुकसान भाजपा के वोट-बैंक को ही पहुंचायेगी ।
              
वेसे आज सभी रांची में रामविलास पासवान की मौजूदगी चाहते थे । स्‍वयं राजद के कई लोगों को पासवान की नामौजूदगी खटक रही थी । हाजीपुर से पिछला चुनाव हारने के बाद लालू ने पासवान को संसद में भेजा । बहरहाल,मैं कह रहा था कि अदालत की लड़ाई अभी आगे भी चलेगी । 2013 में ही अजीत सरकार हत्‍या-कांड में आजीवन कैद की सजा पाये पप्‍पू यादव को बिहार ने बाइज्‍जत बरी होते देखा है । जांच सीबीआई ने ही की थी । बरी होते ही पप्‍पू ने अपने प्रभाव वाले इलाकों में फिर से मेला लगा दिया है,तो ये तो बहुत बड़े लालू प्रसाद हैं ।


ज्ञानेश्वर वात्सायन, पटना
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक हैं.)
लड़ाई अभी बाकी है...... लड़ाई अभी बाकी है...... Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on October 01, 2013 Rating: 5

1 comment:

  1. sawal Lalu yadav ka nahi hai aur na hi iska ki agle election mein unki party kitni seats jet payegi..bada mudda yeh hai ki desh mein sust hi sahi legal system kam kar rahi hai..aap kitne bhi bade insan ho.. galti kar ke bach nahi sakte...isiliye sab partiyan( including BJP) Supreme Court ke disqualification wale judgement ke khilaf hai

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