नीतीश सरकार बिहार में बेहतर स्वास्थ्य सेवा का लाख दावा कर ले,
लेकिन हकीकत में ऐसा नहीं है. हाँ अस्पतालों की कुछ पॉलिस जरुर हुई है, जिसके
कारण सभी अस्पतालों
में मरीजों की संख्या बढ़ी है,
मगर डॉक्टर की कमी के कारण मरीजो का ठीक से इलाज नहीं हो पा रहा है. दूसरी तरफ कर्मचारियों की कमी के कारण कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
पूर्णिया सदर अस्पताल का ओ पी डी के पास मरीजो की संख्या देख कर यह अंदाजा लगाया जा सकता है की मरीजों की संख्या में किस तरह से इजाफा हुआ है. मगर इनलोगों के साथ जो परेशानी हो रही है, उसे देखनेवाला कोई नहीं है. इस भीषण गर्मी में घंटो लाइन में लगकर अपनी बारी का इंतजार करना
होता है, चूंकि पुर्जी
कटवाने के लिए एक ही खिड़की है. वही
हाल दवा वितरण खिड़की का भी है. ऐसे
में किसी को प्यास लग जाये तो पूरे कैंपस
में पानी के लिए नलका ढूंढते रह जाओगे. और अगर नलका नजर आ भी गया तो उसमे पानी नहीं मिलेगा. ऐसा नहीं है कि यहाँ पानी की कमी है. पानी तो टूटे हुए पाइप से नाले में यूंही बहता रहता है. और गंदगी ! गंदगी का तो हॉस्पिटल के साथ चोली दामन का साथ है, वो तो ख़त्म होने का सवाल ही नहीं है.
पूर्णिया सदर अस्पताल का ओ पी डी के पास मरीजो की संख्या देख कर यह अंदाजा लगाया जा सकता है की मरीजों की संख्या में किस तरह से इजाफा हुआ है. मगर इनलोगों के साथ जो परेशानी हो रही है, उसे देखनेवाला कोई नहीं है. इस भीषण गर्मी में घंटो लाइन में लगकर अपनी बारी का इंतजार करना

इलाज करवाने के लिए मरीजों को अस्पताल तो
आना ही है इसके लिए लाइन भी लगते है पर घंटो लाइन लगने के
बाद अगर 12 बज गए तो डॉक्टर का उठ कर जाना
लाजमी है लिहाजा मरीजो का पूरा दिन ख़त्म. इसके लिए जिमेवार
कोई नहीं है.
यहाँ यह कहावत
पूरी तरह सटीक बैठती है कि 10 बजे
से पहले लेट नहीं 12 बजे के
बाद भेंट नहीं. जी हाँ पूर्णिया सदर
अस्पताल की की हालत कुछ ऐसा ही है इमरजेंसी में डॉ तो होते है पर ,वार्ड के मरीजो की हालत ख़राब है. मेटर्नीटी वार्ड में आई गर्भवती महिला रात में
भगवन भरोसे रहती है. जिन बच्चों का जन्म सदर
अस्पताल में हो गया उसे बिना बख्शीश दिए नहीं जाने दिया जाता और उनके जन्म प्रमाणपत्र और टीकाकरण के लिए
भी पैसे देने पड़ते है.
सदर अस्पताल प्रबंधन अपनी विवशता बताते हुए कहते है की यहाँ मरीजो की संख्या दिन पर दिन बढती जा रही है पर साधन नहीं इसके लिए सरकार को लिख कर भेज जा चुका है.
पूर्णिया सदर अस्पताल की स्थिति देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि स्वास्थ्य की व्यवस्था में किस तरह का सुधार हुआ है. कागज पर सभी व्यवस्था है पर वो सभी व्यवस्था आम लोगों तक कब पहुंचेगी.
सदर अस्पताल प्रबंधन अपनी विवशता बताते हुए कहते है की यहाँ मरीजो की संख्या दिन पर दिन बढती जा रही है पर साधन नहीं इसके लिए सरकार को लिख कर भेज जा चुका है.
पूर्णिया सदर अस्पताल की स्थिति देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि स्वास्थ्य की व्यवस्था में किस तरह का सुधार हुआ है. कागज पर सभी व्यवस्था है पर वो सभी व्यवस्था आम लोगों तक कब पहुंचेगी.
पूर्णियां सदर अस्पताल: मरीजों की संख्यां बढ़ी, पर सुविधा नदारद
Reviewed by मधेपुरा टाइम्स
on
September 26, 2013
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