बाल श्रम रोकने की कवायद: प्रशासन की कार्यशाला

 |संवाददाता|12 जून 2013|
बाल श्रम में लगे बच्चों को विमुक्त कराकर उन्हें शैक्षणिक माहौल में ढालना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए. लोगों को अपना कार्य खुद करने की आदत डालनी चाहिए. बाल श्रम को रोकने के लिए समाज के सभी लोगों को आगे आने की जरूरत है.

मधेपुरा के जिलाधिकारी उपेन्द्र कुमार की अध्यक्षता में जिला मुख्यालय के डीआरडीए के सभागार में आयोजित बाल श्रम विरोधी विश्व दिवस पर एक कार्यशाला में मधेपुरा के जिला न्यायाधीश अरूण कुमार अपने उपर्युक्त विचार व्यक्त कर रहे थे. इस कार्यशाला का नाम रखा गया था, Workshop on World Day against Child Labour cum Children Interface meeting with govermnment officers.

बाल श्रम के उन्मूलन के प्रति गंभीर जिला प्रशासन ने आज जिले के सरकारी अधिकारियों के साथ बाल श्रम उन्मूलन पर विमर्श किया और अधिकारियों ने इस अवसर पर अपने-अपने विचार भी रखे. जिलाधिकारी ने कहा कि बहुत से साधन के बाद भी बाल श्रम जारी है और इस पर रोक नहीं लग पा रहा है. ऐसे में जिले में कार्यरत सरकारी तथा गैर-सरकारी संस्था से आगे आने की अपील की. उन्होंने इस काम में आगे आने वाली संस्थाओं को प्रशासनिक सहयोग दिलाने का भरोसा भी जताया.

कार्यशाला में सिंघेश्वर स्थित बाल कल्याण समिति मधेपुरा के अधिकारियों ने भी अपने विचार रखते हुए कहा कि बाल कल्याण समिति 26 मई 2010 से ही जिले में कार्यरत है और इस दिशा में प्रयासरत है.

कार्यशाळा में मधेपुरा न्यायालय के कई न्यायाधीश तथा जिला प्रशासन के कई पदाधिकारी भी मौजूद थे जिन्होंने अपने विचार रखे. 

बेहद चौंकाने वाले हैं आंकड़े: भारत में बाल श्रम से सम्बंधित आंकड़े बेहद चौंकाने वाले हैं. वर्ष 2001 की जनगणना के बाद पता चला कि देश में एक करोड़ सत्ताईस लाख बच्चे बाल श्रम में लगे हुए हैं जो कुल श्रमिकों का 3.6 % है.
बाल श्रम रोकने की कवायद: प्रशासन की कार्यशाला बाल श्रम रोकने की कवायद: प्रशासन की कार्यशाला Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on June 12, 2013 Rating: 5

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