राजनीति का नशा:भीख मांग कर लड़ रहा चुनाव

अपना परचा देखाते कोशी यादव
रूद्र नारायण यादव/२७ अप्रैल २०११

इन्हें लोग कोशी का धरतीपकड़ भी कहते हैं. नाम भी है कोशी यादव. कहते हैं मधेपुरा की धरती ने राजनीति में भी बिहार और पूरे भारत को कई मामले में दिशा प्रदान की है.बिन्देश्वरी प्रसाद मंडल और भूपेंद्र नारायण मंडल की इस पावन धरती पर राजनीति में आने की इच्छा बहुतों के मन में दबी रहती है.पर राजनीति के प्रति ऐसी दीवानगी मधेपुरा में शायद ही किसी और शख्स में देखी गयी हो.बालम-गढिया के इस राजनीतिज्ञ ने पहले तो राजनीति में अपनी सारी जमीन-जायदाद बेची,फिर दूध बेचकर चुनाव
मतदाताओं को समझाते कोशी
लड़ा और अब जब कुछ नही बचा तो भीख मांगकर लड़ विरोधियों को पछाड़ने का हौसला दिखाते हैं.
बूढों का आशीर्वाद भी जरूरी है.
     कोशी यादव ने कई महान राजनीतिज्ञों से प्रेरणा पाकर बचपन से ही सांसद बनने  का ख्वाब देख रखा था.लालू यादव और शरद यादव के बीच जब मधेपुरा में चुनावी संघर्ष शुरू हुआ तो कोशी यादव भी सांसद बनने चुनावी मैदान में कूद पड़े.उन्हें विश्वास था की जनता इन बाहरी नेताओं को पराजय का मुंह दिखायेगी और उन्हें ही चुनेगी. पर एमपी का चुनाव तो कोशी हार ही गए और साथ ही बहुत कुछ भी हार गए.कोशी ने इस चुनाव में अपनी सारी जमीन बेच डाली थी और अब कोशी चुनाव के बाद करीब कंगाल ही हो गए थे.पर किस्मत ने इन्हें इसके बाद भी एक जबरदस्त हार दिखाई.सब कुछ बिक जाने की चिंता में पत्नी भी इस दुनिया में नही रही.
  सांसद बन कर देश सेवा का सपना तो बिखर चुका था.पर इन्हें लगा कि शायद विधायक बनना इनके बूते की चीज है.एमएलए का चुनाव लड़ने के लिए कोशी यादव ने दूध बेचकर पैसे जमा करना शुरू किया.जब चुनाव लड़ने के लिए पैसे जमा हो गए तो विधायक का चुनाव जीतने के लिए अपनी सारी शक्ति लगा दी.पर किस्मत ने इन्हें फिर से दगा दिया.कोशी चुनाव हार गए.थोड़े कर्ज थे सो भैंस भी इन्हें खोना पड़ा.पर हिम्मते मरदा,मददे खुदा में विश्वास रखने वाले कोशी ने अभी भी उम्मीदें नहीं छोड़ी है.देश सेवा और राज्य सेवा तो क्षेत्र सेवा करके भी की जा सकती है.और फिर क्या था,कूद पड़े पंचायत चुनाव में मुखिया बनने.मधेपुरा प्रखंड के बालम-गढिया पंचायत से चुनाव लड़ रहे कोशी यादव अब इस चुनाव में भीख मांगकर खर्च कर रहे हैं.संपत्ति के नाम पर अब एक पर्रू (भैंस का बच्चा) बचा है.टूटी झोंपड़ी में रहने वाला कोशी एक बेटे का पिता भी है.इस दफे अपनी जीत के प्रति आश्वस्त दिखने वाले कोशी यादव कहते है कि पूरा इलाका देख चुका है कि देशभक्ति के लिए मैंने अपना सबकुछ खोया है अत:जनता इस बार मुझे सर आँखों पर बिठाएगी और मेरी जीत अब सुनिश्चित है.  
राजनीति का नशा:भीख मांग कर लड़ रहा चुनाव राजनीति का नशा:भीख मांग कर लड़ रहा चुनाव Reviewed by मधेपुरा टाइम्स on April 27, 2011 Rating: 5

1 comment:

  1. रूद्र नारायण जी, मैं कोसी यादव जी को बचपन से और करीब से जानता हूँ , सही मायने में इन जैसों को हीं सांसद या विधायक बनना चाहिए , लेकिन आज के राजनीती के अखाड़े के लिए न तो इनके पास दबंगई है ना काला धन और ना हीं किसी बड़े घराने का लेबल | आज के इस दुनियाँ में शायद कई लोग अब्राहम लिंकन को भूल गए होंगे , लेकिन मैं कोसी जी की तुलना उनसे भी करना चाहता हूँ | मैं सुभकामना देता हुं कोसी यादव जी को उन्हें समाज का सेवा करने का अवसर मिले तथा मधेपुरा की महान जानता से कहना चाहता हूं की मत खोना ऐसे कोसी के लाल को जो मंडल के धरती की गरीमा को बरक़रार रख सके |

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